मरने से पहले यमराज क्या संकेत देते हैं : – मृत्यु अटल सत्य है। जिसका जन्म हुआ है उसे एक न एक दिन इस दुनियां को छोड़कर जाना ही पड़ता हैं। जब किसी फैमली मेम्बर की अकाल मृत्यु होती है तो असहनीय दुःख का सामना करना पड़ता हैं। लेकिन शास्त्र कहते है की किसी भी जीव की अकाल मृत्यु नहीं होती हैं। सभी जीवों की जन्म और मृत्यु का समय पूर्व से ही निर्धारित होती हैं। इसलिए यह कहना गलत होगा की किसी व्यक्ति की अकाल मृत्यु हुई हैं। गरुड़ पुराण और गीता में जीवन और मृत्यु के रहस्यों में विस्तारपूर्वक बताया गया हैं। गीता में बताया गया है की मृत्यु अंत नहीं शुरुवात हैं। मृत्यु सिर्फ शरीर का अंत हैं। आत्मा कभी नहीं मरती हैं। अकाल मौत कोई नहीं मरता, जान लेने से 24 घंटे पहले हर इंसान को नीचे बताए गए ये 4 संकेत देते हैं यमराज
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जब किसी व्यक्ति की मृत्यु कम उम्र में अचानक किसी एक्सीडेंट और बीमारी की वजह से हो जाती है तो इसे ही अकाल मृत्यु के नाम से जाना जाता हैं। परन्तु सत्य यह है की मृत्यु का समय पहले से ही तय होती हैं। इसलिए जान ले की अकाल मौत कोई नहीं मरता हैं। जब किसी इंसान का अंत समय आता है तब मृत्यु के देवता यमराज हमें संकेत जरुर देते हैं। आइए जानते है की मरने से पहले यमराज क्या संकेत देते हैं ?
अकाल मौत कोई नहीं मरता, जान लेने से 24 घंटे पहले हर इंसान को ये 4 संकेत देते हैं यमराज
गरुड़ पुराण में श्री हरी ने बताया है की जब मृत्यु बेहद समीप होती है तब प्रभावित होने वाले व्यक्ति में बहुत से बदलाव अचानक से देखे जाते हैं। बदलावों पर गौर कर व्यक्ति मृत्यु पूर्व संकेतों को जान सकता हैं। शास्त्र कहते है की यमराज मृत्यु पूर्व संकेत इसलिए देते है ताकि अंत समय में व्यक्ति अपना सारा समय अपने प्रियजनों और ईश्वर को समर्पित कर सकें। मोह-माया रूपी दलदल से निकलकर ईश्वर को सच्चे मन से याद कर सकें। शास्त्र कहते है की अकाल मौत कोई नहीं मरता, जान लेने से 24 घंटे पहले हर इंसान को यमराज निम्नलिखित 4 संकेत देते हैं :-
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पूर्वजों और यमदूत का दिखना
जब मृत्यु बेहद करीब होती है तब 24 घंटे पहले इंसान को जागृत अवस्था में भी पूर्वज दिखाई देते हैं। शास्त्र कहते है की पूर्वजों के आसपास होने का एहसास होना संकेत है की यमराज का बुलावा आने वाला हैं। शास्त्रों के अनुसार, आत्मा का शरीर छोड़ने का समय आता है तब यमराज मृत्यु दूतों को भेजते हैं। अंत समय में दूतों का धुंधला-धुंधला दिखना भी आत्मा के शरीर से अलग होने के ही संकेत देते हैं।
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जीव और वस्तुओं की छाया न दिखना
शास्त्रों में बताया गया है की जब व्यक्ति का शरीर अपने अंत समय की ओर बढ़ने लगता है तो उसकी देखने, सुनने और महसूस करने की क्षमता पूरी तरह समाप्त होने लगती हैं। व्यक्ति को खुद की छाया का आभास न होना या अधूरी दिखना संकेत देती है काल सर पर मंडरा रहा हैं। अंत समय में अधूरी प्रतीत होने वाली छाया भी अत्यंत डरावनी और धुंधली दिखने लगती हैं।
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बोलने और सांस लेने में असमर्थता महसूस करना
जब आत्मा के लिए शरीर रहने लायक नहीं रहा जाता तो यमराज के आदेश पर दूत शरीर को आत्मा से अलग कर देते हैं। मौत से 24 घंटे पहले इंसान बोलने, समझने, सुनने और सूंघने की क्षमता खो देता हैं। व्यक्ति जब बोलने की कोशिश करता है तो आवाज बाहर नहीं निकलती हैं। इसके अलावे शरीर छोड़ने से पहले संकेत के रूप में सांस लेने में तीव्रता और कठिनाई महसूस होती हैं।
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अच्छे और बुरे कर्म आने लगते है याद
जब अंत समय नजदीक होता है तब व्यक्ति को जीवन के सभी अच्छे और बुरे पल याद आने लगते हैं। ज्यादात्तर लोगों को यमराज उनके द्वारा किये गए बुरे कर्मों को दिखलाने का प्रयत्न करते हैं। इस दुनियां में ऐसा कोई इंसान नहीं जिन्होंने कोई पाप कर्म न किए हो। परन्तु जिनके कर्म सबसे अशुद्ध होते वे मृत्यु के पहले बार-बार खुद के द्वारा किये गए बुरे कर्मों को स्मरण कर रोते हैं।
ऊपर बताए गए 4 संकेत मृत्यु पूर्व यमराज प्रदत्त संकेत माने जाते हैं। गरुड़ पुराण में कई अन्य संकेतों के बारें में भी बताया गया हैं। जैसे रहस्यमयी द्वार का दिखना, दिन में भी अंधकार जैसा महसूस होना, शरीर के अंगों का कार्य न करना, दिव्य प्रकाश दिखना और शरीर का पीला पड़ना आदि भी मृत्यु पूर्व के ही संकेत माने जाते हैं।
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निष्कर्ष
सनातन धर्म में मृत्यु को अंत नहीं माना जाता हैं। क्योकि आत्मा उर्जा का स्वरुप होती हैं। शरीर के अंत के बाद आत्मा पुन: एक नया और स्वस्थ शरीर धारण कर लेती हैं। इस पोस्ट ” अकाल मौत कोई नहीं मरता, जान लेने से 24 घंटे पहले हर इंसान को ये 4 संकेत देते हैं यमराज ” में मैंने आपको बताया है की मृत्यु पूर्व ईश्वर प्रदत्त संकेत कैसे होते हैं। संकेतों को समझने के बाद व्यक्ति प्रकृति द्वारा निर्धारित किए गए मौत के समय को टाल नहीं सकता हैं।
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