कामाख्या मंदिर कब जाना चाहिए – कामाख्या देवी मंदिर पूजा विधि

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कामाख्या मंदिर कब जाना चाहिएकामाख्या देवी मंदिर पूजा विधि – इस मंदिर के विषय में आपने जरुर सुना होगा। यह मंदिर अति प्राचीन हैं जहाँ माता सती का अंग गिरा था। पुरे देश में सती के 51 शक्तिपीठ हैं। परन्तु कामाख्या मंदिर सभी शक्तिपीठों में सबसे ज्यादा रहस्यमयी हैं। अगर आप भी कामख्या मन्दिर जाने की सोच रहे हैं तो आपके लिए जानना आवश्यक हैं की कामाख्या मंदिर कब जाना चाहिए और कामाख्या देवी मंदिर की पूजा विधि क्या हैं। इस पोस्ट में मैं आपको कामख्या मन्दिर के रहस्य और इसके पीछे की सम्पूर्ण कहानी भी बताउंगी। आइए जानते हैं की कामाख्या मंदिर कहां है और यहाँ कब जाना ठीक रहेगा।

कामाख्या मंदिर कब जाना चाहिए
कामाख्या मंदिर कब जाना चाहिए

दोस्तों, कामाख्या मंदिर 12 महीने खुली रहती हैं लेकिन इन 12 महीनों में 3 दिन इस मन्दिर का दरवाजा भक्तों के लिए बंद रहता हैं। दरसल इसके पीछे एक बड़ा रहस्य हैं। इस रहस्मयी मन्दिर को देखने और दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं। कहते हैं की जो लोग सच्चे मन से माता की भक्ति और पूजा करते हैं उनकी सभी समस्यायों का निवारण हो जाता हैं। नीचे विस्तार से पढ़ें की कामाख्या मंदिर कब जाना चाहिए और कामाख्या देवी मंदिर पूजा विधि क्या हैं।

कामाख्या मंदिर कहां है – इसका रहस्य

कामाख्या मंदिर कहां है - इसका रहस्य
कामाख्या मंदिर कहां है – इसका रहस्य

दोस्तों, कामाख्या मंदिर भारत में हैं। यह गुवाहाटी में स्थित हैं। गुवाहाटी असाम में हैं। जिस क्षेत्र में यह मंदिर हैं उसका नाम भी कामख्या ही हैं। यह मन्दिर नीलांचल पहाड़ पर हैं। यहाँ माता की कोई मूर्ति नहीं हैं बल्कि एक योनि-कुण्ड हैं। दरसल जब विष्णु जी ने सती माता के मृत शरीर को सुदर्शन से कई भागों में काटा था तब माता की योनी इस स्थान पर गिरी थी। अत: यहाँ मूर्ति के बजाय योनी आकार की पूजा ही की जाती हैं। यहाँ तांत्रिक मंत्र सिद्धि करने के लिए आते हैं। 12 महीने में सिर्फ तेन दिन यह मन्दिर बंद किया जाता हैं। यह मन्दिर 22 जून से 24 जून तक बंद कर दिया जाता हैं।

शास्त्रों के अनुसार, इस दौरान माता को मासिक धर्म से गुरजना पड़ता हैं। इस वजह से इन दिनों किसी भी भक्त को अंदर आने की अनुमति नहीं हैं। तीन दिनों तक ब्रह्मपुत्र का पानी माँ के रज से लाल रहता हैं। इस दौरान मन्दिर में एक सफेद कलर का कपड़ा भी रखा जाता हैं जिसका रंग तीन दिन में लाल में परिवर्तित हो जाता हैं इसे प्रसाद के रूप में भक्तों को प्रदान किया जाता हैं। इस कपड़े को पूजाघर में रखने से व्यक्ति के जीवन से हर तरह की परेशानी नष्ट हो जाती हैं। यह स्थान काला जादू और तन्त्र मंत्र की सिद्धि के लिए ज्यादा प्रसिद्ध हैं। मासिक धर्म के दौरान यहाँ अम्बुबाची मेला लगता हैं।

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कामाख्या मंदिर कब जाना चाहिए

दोस्तों, कामाख्या मंदिर आप कभी भी जा सकते हैं। यह साल भर खुला रहता हैं। अम्बुबाची मेला लगने पर भी आप यहाँ घुमने जा सकते हैं हालाँकि इस दौरान तीन दिन तक मन्दिर में प्रवेश या पूजा नहीं कर सकते हैं। अत: अगर आप पूजा करने के लिए जाना चाहते हैं तो मेले के दौरान जाना सही नहीं हैं। अगर महिला पीरियड से गुजर रही हैं तब भी कामख्या मन्दिर नहीं जाना चाहिए। गर्मी के मौसम में यहाँ जाने से बड़े बुजुर्गों को परेशानी हो सकती हैं क्योकिं यहाँ अत्यधिक भीड़ रहती हैं। अगर आपकी उम्र ज्यादा हैं तो ठंड के दिन में जाएँ।

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कामाख्या देवी मंदिर पूजा विधि

कामाख्या देवी मंदिर में पूजा विधि या पूजा करने का तरीका नीचे बताया गया हैं :-

सबसे पहले स्नान करके मन्दिर में जाना हैं और अपने सामर्थ्य अनुसार दीप , अगरबत्ती और पुष्प खरीद लेना हैं।
मन में श्रद्धा भाव रखते हुए मां को पुष्प आदि अर्पित करें और अपने मन की अभिलाषा बताएं। मां सब जानती हैं लेकिन आप जब मां को अपनी परेशानी बताते हैं तो उन्हें लगता हैं की आप उन्हें अपना समझते हैं। मंदिर में पूजा समाप्ति के बाद वहा कन्यायों को भोजन भी करा सकते हैं। हालाँकि यह आपके सामर्थ्य पर निर्भर करता हैं। अगर आप सक्षम नहीं हैं तो इसकी कोई आवश्यकता नहीं हैं। घर में कामाख्या देवी मंदिर स्थापित करने के लिए हमेशा लकड़ी के बने चौकी का इस्तेमाल करें।

मां कामख्या की पूजा से व्यक्ति के रुके हुए कार्य भी जल्दी ही पुरे हो जाते हैं। अगर व्यक्ति के मन श्रद्धा भाव हैं तो मां का आशीर्वाद सदैव बना रहता हैं। इनके आशीर्वाद से क़ानूनी पचड़े और नौकरी, विवाह आदि में आ रही परेशानी भी दूर होती हैं।

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कामाख्या मंदिर कब बंद रहता है

माता के मासिक धर्म के दौरान कामाख्या मंदिर के कपाट बंद रहते हैं। इस दौरान नदी का पानी लाल दिखने लगता हैं और मां पर चढ़ाया गया कपड़ा भी लाल और काले रंग के हो जाते हैं।

कामाख्या मंदिर में किसकी पूजा होती है

कामख्या मन्दिर में देवी सती के 51 शक्तिपीठों में से एक योनी आकार मूर्ति और कुंड की पूजा होती हैं। प्रसाद के रूप में खून की रुई और मांस भी चढ़ाया जाता हैं।

निष्कर्ष

दोस्तों इस पोस्ट में मैंने आपको बताया हैं की कामाख्या मंदिर कब जाना चाहिए और कामाख्या देवी मंदिर पूजा विधि क्या हैं। आप घर पर भी मां के मंदिर को स्थापित कर सकते हैं। अगर आप आर्थिक रूप से मजबूत हैं तो पूजा के बाद कुंवारी कन्यायों को अवश्य भोजन करायें। माता के आशीर्वाद से व्यापार में आ रही परेशानी और स्वास्थ्य समस्याएं भी दूर हो जाती हैं।

मुझे आशा हैं की आपको आज की यह पोस्ट कामाख्या मंदिर कब जाना चाहिएकामाख्या देवी मंदिर पूजा विधि की जानकारी अच्छी लगी होगी। इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरुर से जरुर शेयर करें।

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