बवासीर में रोटी खाना चाहिए या नहीं – इस रोग के लक्षण, कारण और इलाज

बवासीर में रोटी खाना चाहिए या नहीं – इस रोग के लक्षण, कारण और इलाज :- बवासीर एक दर्दनाक और परेशान करने वाली बीमारी हैं। ज्यादात्तर यह बीमारी पेरेंट्स से बच्चों में आती हैं। जिसका मतलब है की यह अनुवांशिक हैं। हालांकि यह बीमारी उन्हें भी प्रभावित करती है जो अत्याधिक शराब और तेल मसालों का सेवन करते हैं। खराब लाइफस्टाइल भी इस समस्या की प्रमुख वजहों में से एक हैं। इसलिए अगर बवासीर का पारिवारिक इतिहास रहा हो तो खान-पान को सही रखना और भी जरुरी हो जाता हैं। बवासीर रोगियों को कब्ज की समस्या रहती हैं। लैट्रिन के दौरान कड़े मल की वजह से असहनीय दर्द झेलनी पड़ती हैं। दर्द से बचने के लिए ऐसे खाद्य पदार्थों से बचने की सलाह दी जाती है जो मल को मुलायम रखें। यही वजह है की लोग यह प्रश्न करते है की बवासीर में रोटी खाना चाहिए या नहीं ?

बवासीर में रोटी खाना चाहिए या नहीं
बवासीर में रोटी खाना चाहिए या नहीं

बवासीर एक जिद्दी रोग माना जाता हैं। कई बार सर्जरी के बाद यह रोग दुबारा से हो जाती हैं। यह रोग दुबारा होने की वजह खराब खान-पान हैं। अगर खान-पान को नियंत्रित न किया जाए तो स्थिति और भी बदत्तर हो जाती हैं। सर्जरी के बाद कब्ज को रोकने के लिए तीखे-मसालेदार और मल को कड़ा करने वाले भोजन से दुरी बनाना अनिवार्य हैं। रोटी के सेवन से भी मल में कड़ापन आता है इसलिए आइए जानते है की बवासीर में रोटी खाना चाहिए या नहीं :-

बवासीर में रोटी खाना चाहिए या नहीं

रोटी का सेवन स्वास्थ्य के लिए अच्छी मानी जाती हैं। इसमें शरीर के लिए आवश्यक लगभग सभी पोषक तत्व होते हैं। रोटी में फाइबर, फौलिक एसिड, प्रोटीन, आयरन, कार्बोहाइड्रेट, सेलेनियम, कैल्शियम, जिंक और कई तरह के विटामिन्स जैसे विटामिन ई और बी होते हैं। इसमें मौजूद फाइबर पाचन तंत्र के लिए अच्छा हैं। फाइबर युक्त भोजन कब्ज की समस्या से राहत देकर बवासीर के लक्षणों जैसे दर्द और जलन से राहत देता हैं। बवासीर की समस्या में कैफीन,अत्याधिक प्रोटीन युक्त आहार, तीखी मिर्च, अधिक फैट वाले भोजन और मसाले वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने की मनाही हैं। हालांकि फाइबर की मौजूदगी रोटी को बवासीर के लिए फायदेमंद बनाती हैं।

फाइबर पाचन में मदद करने वाले बैक्टीरिया के लिए भी अच्छा हैं। आहार में ज्यादा फाइबर लेना भूख को कण्ट्रोल करता हैं। इस तरह आप ज्यादा खाने से भी बचते हैं। इसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट शरीर को भरपूर एनर्जी देती हैं। रोटी का सेवन हड्डियों और मांशपेशियों को भी मजबूती प्रदान करती हैं।

अत: अगर आप बवासीर रोग से पीड़ित है तो रोटी का सेवन कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे की रोटी का सेवन चबा चबाकर करनी चाहिए ताकि उसे पचाने में आसानी हो। भोजन के कुछ समय बाद भरपूर पानी का भी सेवन करें। दरसल ताजा अध्ययन से पता चला है की जो लोग बहुत खाते है और पानी नहीं पीते उन्हें कब्ज की समस्या अक्सर होती हैं। इसलिए दिन भर में ३ से ४ लिटर पानी जरुर पिए।

बवासीर में रात में क्या खाना चाहिए?

बवासीर की समस्या में सुबह उठने के बाद कब्ज और कड़े मल त्याग की वजह से दर्द और जलन हो रही है तो यह रात में ग्रहण किए गये गलत भोजन की वजह से हो सकता हैं। इसलिए रात को सोने से पहला हल्का भोजन ही सबसे अच्छा हैं। रात के भोजन में फाइबर युक्त गेहूं की रोटी, हरी शब्जियो जैसे ( टमाटर, ग्रीन मटर, करेला, अंकुरित चना, शिमला मिर्च, लौकी, सेम, परवल ) से बनी खाद्य सामग्रियां, ब्राउन राइस, दही, शिमला मिर्च, धनियां और टमाटर की चटनी, इडली आदि का सेवन करना लाभप्रद हैं। इसके अलावे अगर आप चावल खा रहे है तो मुंग का दाल सबसे बेस्ट हैं। यह दाल आसानी से पच जाता हैं।

साथ ही ध्यान रखें की रात में कॉफ़ी, चाय, सफ़ेद ब्रेड, नशीली चीजें जैसे सिगरेट और गुटखे का सेवन न करें। अगर रात के वक्त इन चीजों का सेवन करेंगे तो आपका पाचन तंत्र कमजोर होगा। ये सभी चीजें कब्ज को बढ़ावा देने वाले हैं। कॉफ़ी और चाय में मौजूद कैफीन शरीर से तरल को कम कर बवासीर की स्थिति को और भी खराब करती हैं।

बवासीर के लक्षण

बवासीर की समस्या जिन लोगों में दिखाई देती है उनमें निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं:-

  • मल त्याग के दौरान खून का आना
  • लैट्रिन का बहुत कड़ा होना
  • मल त्याग के बाद या दौरान दर्द और जलन
  • मल द्वार के आसपस के एरिया में सुजन
  • शौच के दौरान या बाद में तरल निकलना और खुजली होना

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बवासीर के मस्से सुखाने के उपाय

बवासीर के मस्से सुखाने के उपाय
बवासीर के मस्से सुखाने के उपाय

बवासीर की समस्या अगर कुछ दिन पहले ही शुरू हुई है तो इलाज आसान हो जाता हैं। अगर आपको बवासीर हो गया उसके बावजूद खान-पान पर किसी तरह का नियंत्रण नहीं है तो कोई भी इलाज कारगर साबित नहीं हो सकता हैं। इसलिए इलाज के दौरान और बाद भी हल्के और फाइबर युक्त भोजन ही करने की सलाह दी जाती हैं। अगर बवासीर की समस्या कई सालों से है सर्जरी ही सबसे बेस्ट इलाज हैं। बवासीर के इलाज के लिए स्टेपलर, ओपन और लेजर सर्जरी की मदद ली जाती हैं। अगर बवासीर शुरुवाती स्थिति में है तो मस्सों को सुखाने के लिए नीचे बताए गए कुछ प्रभावी उपायों को आजमा सकते हैं।

आम की गुठली

आम की गुठली बवासीर के इलाज में प्रभावी इलाज हैं। अगर आपको मल त्याग के दौरान पाइल्स की वजह से खून निकलता है तो इस घरेलु उपाय को जरुर आजमा सकते हैं। सबसे पहले आम की गुठली अर्थात बीज को सुखाकर अंदर वाले भाग को बहार निकाल मिक्सी में पाउडर बना लेना हैं। प्रतिदिन हल्के गर्म पानी के साथ ४ से ५ ग्राम पानी लेकर पाउडर को दवा के रूप में सुबह-शाम लेने से बवासीर में आराम मिलता हैं। रोगी को ब्लड आने की शिकायत दूर होती हैं। लगातार २ महीने तक इसका सेवन करने से मस्से सूखने लगते हैं।

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बर्फ

मस्सों पर बर्फ से सिकाई करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है लेकिन यह काफी प्रभावी उपचार हैं। प्रतिदिन सुबह-शाम बर्फ के टुकड़े से मस्सों पर १० से १५ मिनट तक लगातार सिकाई करने से मस्से सिकुड़ने लगते है और एक समय के बाद सुख जाते हैं। बर्फ की सिकाई से रोगी को मल त्याग के दौरान खून आने या दर्द होने की समस्या से भी राहत मिलती हैं।

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आंवला और एलोवेरा

आंवला और एलोवेरा के मिश्रण में एंटी-इन्फ्लामेंट्री, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल गुणों के साथ-साथ विटामिन सी होता हैं। प्रतिदिन दोनों को मिश्रित कर सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती हैं। इसके सेवन से दर्द और सुजन में भी तुरंत लाभ मिलता हैं। इसके अलावे एलोवेरा जेल को सीधे मस्सों पर अप्लाई करने से जलन,दर्द और सुजन में लाभ मिलता हैं।

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सर्जरी

अगर बवासीर की वजह से अत्याधिक दर्द, जलन और खून निकलने की समस्या है तो सावधान हो जाना चाहिए। समस्या अधिक दिनों तक बनी रहने से शरीर अत्यंत कमजोर हो जाता हैं। गंभीर स्थिति में पेट दर्द और बुखार भी होने लगता हैं। इस स्थिति में डॉक्टर शल्य चिकित्सा की सलाह देते हैं। प्रभावित भाग के मस्से को धागे या चीरे के माध्यम से हटाया जाता हैं। उसके बाद कुछ ही दिनों में स्किन नार्मल स्थिति में पुन: लौट आती हैं।

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पेशाब से बवासीर का इलाज संभव है या नहीं ?

कई लोगों से आपने पेशाब से बवासीर का इलाज करने के विषय में सुना होगा। गाय के पेशाब से कई बीमारियों का इलाज किया जाता हैं। लेकिन गाय के पेशाब से बवासीर का इलाज असंभव हैं। बवासीर के इलाज के लिए कभी भी गाय या किसी अन्य जीव-जंतु के पेशाब का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। पेशाब को बवासीर के मस्सों पर लगाने या सेवन करने से इन्फेक्शन बढ़ सकता है इसलिए किसी के बहकावे में आकर ऐसी गलती करने का प्रयत्न भी न करें। इसके सेवन से पेट और किडनी प्रभावित हो सकते हैं। दरसल पेशाब में मौजूद हानिकारक जीवाणु और तत्व ब्लड और पेट में जाकर इन्फेक्शन को बढ़ा सकता हैं।

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निष्कर्ष

आज की यह खास आर्टिकल ” बवासीर में रोटी खाना चाहिए या नहीं – इस रोग के लक्षण, कारण और इलाज ” उनलोगों के लिए है जो बवासीर की समस्या से जूझ रहे हैं। बवासीर रोग की वजह से चलने-फिरने, बैठने और दौड़ने में काफी समस्या होती हैं। कई बार तो ब्लड के अत्याधिक बहने से शरीर इतना कमजोर हो जाता है की चक्कर और बेहोशी जैसे हालात हो जाते हैं। अत: समय पर बवासीर का इलाज बेहद आवश्यक हैं। बवासीर के इलाज के साथ-साथ स्वस्थ खान-पान भी उतना ही आवश्यक हैं।

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