चिरचिटा का पौधा की जड़ किस बीमारी में काम आता है – उपयोग और दुष्प्रभाव की जानकारी

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चिरचिटा का पौधा की जड़ किस बीमारी में काम आता है – उपयोग और दुष्प्रभाव की जानकारी – चिरचिटा जिसका वैज्ञानिक नाम अचिरांथिस अस्पेरा हैं एक औषधीय गुण वाला पौधा हैं। जिसका उपयोग कई रोगों के इलाज में किया जाता हैं। इसे भारत में कई नामों से जाना जाता हैं। इसे गाँव देहात में चिरचिरी और चिरचिरा के नाम से भी जानते हैं। बारिश के दिनों में खेत-खलिहानों में अक्सर उग आते हैं। इस पौधे का सबसे ज्यादा इस्तेमाल औषधियां और दातुन के लिए किया जाता हैं। इस पौधे में कांटे होते हैं जो त्वचा और कपड़ों में आसानी से चिपक जाती हैं। तो आइये जानते हैं की चिरचिटा का पौधा की जड़ किस बीमारी में काम आता है और इसके अन्य उपयोग क्या हैं।

चिरचिटा का पौधा की जड़ किस बीमारी में काम आता है -
चिरचिटा का पौधा की जड़ किस बीमारी में काम आता है –

बारिश के मौसम में में यह तेजी से बढ़ता हैं लेकिन गर्मी का मौसम आते आते यह पौधा जीवन के अंतिम पड़ाव पर होता हैं। अर्थात इसमें फल लगते हैं और पूरी तरह परिपक्व हो जाते हैं। दांतों को साफ़ करने के लिए इसके जड़े और तने का यूज किया जाता हैं। दरसल इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी , एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं। चिरचिटा में कई अन्य गुण भी हैं जो मनुष्य शरीर की कई समस्यायों के निदान में मुख्य भूमिका निभाता हैं। चिरचिटा का पौधा की जड़ किस बीमारी में काम आता है आइए इसके बारें में जानते हैं।

चिरचिटा का पौधा की जड़ किस बीमारी में काम आता है

आयुर्वेद में चिरचिटा के सभी भागों जैसे पत्ते, डंठल और जड़ों का उपयोग औषधियां निर्मित करने में की जाती हैं। रोजाना इससे दातुन करने से दांतों और मसूढ़ों को वज्र की तरह मजबूती मिलती हैं। जिसकी वजह से इसे वज्रदंती भी कहा गया हैं। हालांकि इसका उपयोग बवासीर और पेट की समस्यायों के समाधान में भी अधिक किया जाता हैं। इसके अलावे विष के प्रभाव को कम करने में भी यह काफी प्रभावी हैं। सबसे पहले मैं आपको इसके जड़ के फायदे बताने जा रही हूं। चिरचिटा का पौधा की जड़ किस बीमारी में काम आता है इसकी जानकरी विस्तार से नीचे पढ़ें।

चिरचिटा का पेड़ कैसा होता है

चिरचिटा का पेड़ कैसा होता है
चिरचिटा का पेड़ कैसा होता है

चिरचिटा का पेड़ कंटीला झाड़ीनुमा छोटा सा पौधा हैं। जिसमें कई डालियां होती हैं। डालियों की मोटाई दातुन की जितनी होती हैं। इसके पत्ते छोटे-छोटे गोल और थोड़े लम्बे होते हैं। इसपे लगने वाले फुल शुरुवात हरे और बाद में गुलाबी कलर के हो जाते हैं।

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चिरचिटा के दुष्प्रभाव

इस पोस्ट में आपने जाना की चिरचिटा के फायदे कौन-कौन से हैं। दोस्तों, चिरचिटा के कई फायदे हैं जिसकी जानकारी मैंने इस पोस्ट में दी हैं। लेकिन चिरचिटा के कुछ दुष्प्रभाव भी देखने को मिलते हैं। दरसल सामान्य से अधिक चिरचिटा का सेवन उल्टी और पेट की समस्याओं का कारण बन सकता हैं। गर्म तासीर की वजह से इसे स्किन पर डायरेक्टली अप्लाई करना सही नहीं हैं। दरसल इससे स्किन से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावे दूध पिलाने वाली माँ और बांझपन जैसी समस्याओं में इसका सेवन वर्जित हैं।

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चिरचिटा की जड़ किस काम आती है

चिरचिटा की जड़ का पाउडर का इस्तेमाल दंत-मंजन की तरह किया जाता हैं। दरसल चिरचिटा की जड़ के पाउडर के साथ-साथ इसकी डाल से दातुन करने से दांत और मसूढ़े स्वस्थ रहते हैं। चिरचिटा की जड़ दांतों की सडन और दर्द से राहत पाने के काम आती हैं। इसके अलावे अस्थमा पेशेंट को रोजाना पत्तियों के धुएं देने से सांस की समस्या दूर होती हैं। चिरचिटा की जड़ और शहद से बने मिश्रण से बना ऑय ड्राप आंखों से जुड़ी परेशानियों के इलाज में किया जाता हैं।

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कफ और सर्दी में

सर्दी-खांसी की समस्या अक्सर लोगों को परेशान करती हैं। मौसम में बदलाव और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर इस बीमारी की जद में आना बेहद आम हैं। चिरचिटा के पौधे से निर्मित काढ़े का रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से कफ पतला होकर निकल जाता हैं। साथ ही काढ़े से बहती नाक को भी काफी आराम मिलता हैं। काढ़ा बनाने के लिए ५ से ६ पत्तियां ही पर्याप्त हैं।

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विष के प्रभाव को कम करने में

जी हां, चिरचिटा विष उतारने में काफी प्रभावी हैं। अगर आपको कभी बिच्छू काट लेता हैं तो इस स्थिति में इस आयुर्वेदिक औषधि का उपयोग कर सकते हैं। औषधि बनाने के लिए एक कड़ाही को गैस पर चढ़ा दें। उसके बाद उसमें लाही के तेल के साथ-साथ पत्तों का रस उबालें। उसके बाद उससे निकलने वाले भाप से प्रभावित स्थान पर सिकाई करनी होती हैं।

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डायबिटीज में

दोस्तों, चिरचिटा डायबिटीज में भी बहुत ही फायदेमंद हैं। इसमें एंटीडायबिटिक गुण हैं जो ब्लड शुगर लेवल को कम करने में काफी प्रभावी हैं। दरसल इसके फुल में एथेनोल हैं जिसकी वजह से डायबिटीज रोगियों को इसके सेवन की सलाह दी जाती हैं। दरसल एथेनोल एंटीडायबिटिक प्रभाव दिखाता हैं। इसलिए रोज फुल के १० ml जूस का सेवन शुगर लेवल को कम करता हैं।

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चिरचिटा से बवासीर का इलाज

चिरचिटा के बीज और पत्तियों का इस्तेमाल बवासीर की समस्या का निदान करने में किया जाता हैं। चिरचिटा से बवासीर का इलाज बीज को पाउडर बनाकर सेवन कर किया जाता हैं। रोजाना सुबह शाम एक चम्मच चिरचिटा बीज का सेवन करने से बवासीर में काफी लाभ मिलता हैं। इसके अलावे पत्तियों में भी बवासीर के मस्से सुखाने वाले गुण मौजूद हैं। पत्तियों की पेस्ट बनाकर मस्से पर रोजाना लगाने से फायदा जल्दी दिखने लगता हैं।

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किडनी और हृदय के लिए के लिए लाभदायक

चिरचिटा हृदय और किडनी से संबंधित समस्यायों में लाभप्रद हैं। यूरिनरी ब्लैडर में स्टोन होने पर चिरचिटा का सेवन करने की सलाह दी जाती हैं। दरसल यह स्टोन को तोड़ने और मूत्र मार्ग के संक्रमण को रोकने में काफी प्रभावी हैं। इसके अलावे यह ब्लड सर्कुलेशन को तेज करता हैं। यह खराब कोलेस्ट्रोल को कम कर शरीर को स्वस्थ रखने का काम करता हैं। शरीर के इन मुख्य अंगों की समस्यायों से बचने के लिए चिरचिटा की पत्तियों का जूस पीना चाहिए। रोज १५ से २० ml जूस पीना पर्याप्त हैं।

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निष्कर्ष – चिरचिटा का पौधा की जड़ किस बीमारी में काम आता है

दोस्तों, इस पोस्ट में मैंने आपको बताया हैं की चिरचिटा का पौधा की जड़ किस बीमारी में काम आता है। साथ ही इसके उपयोग और दुष्प्रभाव की जानकारी विस्तारपूर्वक इस लेख में प्रदान की गयी हैं। चिरचिटा से बवासीर, किडनी, डायबिटीज और सर्दी-खांसी का इलाज किया जाता हैं। इसके अलावे जड़ से बनी आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग दांत और अस्थमा से जुड़ी समस्यायों में किया जाता हैं।

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