शमी पत्र कब तोड़ना चाहिए और कब नहीं – शिवलिंग पर शमी पत्र कैसे चढ़ाएं – हिन्दू धर्म में शमी के पेड़ की पूजा की जाती हैं। इस पेड़ के पत्ते को तोड़ने और शिवलिंग पर चढाने के कुछ नियम बनाएं गए हैं। जो व्यक्ति सच्चे मन से सभी नियमों का पालन करते हुए शिवलिंग की पूजा आराधना करता हैं उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शमी पत्र बेहद पवित्र माना जाता हैं। शमी पत्र का दूसरा नाम चिक्कुर भी हैं। हालांकि पुरे भारत में इसे शमी के नाम से ही जाना जाता हैं।
इस पौधे की पत्तियां माता पार्वती और शिव जी का प्रिय हैं। इसे गणेश जी की पूजा में भी उपयोग में लाया जाता हैं। शनि दोष निवारण हेतु भी शमी पत्र बेहद उपयोगी माना जाता हैं। शास्त्रों में राम जी द्वारा शमी के पेड़ की पूजा का उल्लेख हैं। आइए जानते हैं की शमी पत्र कब तोड़ना चाहिए और कब नहीं साथ ही आपको बताएँगे की शिवलिंग पर शमी पत्र कैसे चढ़ाना चाहिए।
दोस्तों, शमी पत्र को रोज नहीं तोड़ना चाहिए। कुछ विशेष दिनों में इसे तोड़ना वर्जित हैं। माना जाता हैं की शनिवार के दिन जो लोग शमी पौधे की पत्तियों को तोड़ते हैं उनसे शनि कुपित हो जाते हैं। अगर आपको शनिवार के दिन मन्दिर जाना हैं और शमी पत्र चढ़ाना हैं तो एक दिन पूर्व ही पत्तियों को तोड़ सकते हैं। हालांकि इसकी पत्तियों को तोड़ने की आवश्यकता नहीं हैं। इस पौधे की नीचे गिरी हुई पत्तियों को भी भगवान पर चढ़ाया जाता हैं। आइए विस्तार से जानते हैं की शमी पत्र कब तोड़ना चाहिए और कब नहीं तोड़ना चाहिए।
शमी पत्र कब तोड़ना चाहिए
ज्योतिष शास्त्र कहता हैं की शमी पत्र को सप्ताह के दो दिन छोड़कर किसी भी दिन तोड़ सकते हैं। अर्थात आप सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार और रविवार के दिन इस पत्र को तोड़ सकते हैं। आपको बता दे की पूजा हेतु पौधे से झड़ी हुई पत्तियां भी उतनी ही शुद्ध और पवित्र मानी जाती हैं जितनी की ताजा तोड़ी हुई पत्तियां। दरसल इसकी पत्तियां बासी नहीं मानी जाती हैं। इस पौधे की जडो में भगवान का वास होता हैं इसलिए यह अपवित्र नहीं होती हैं।
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शमी पत्र कब नहीं तोड़ना चाहिए
जिस दिन शमी पत्र तोड़ना वर्जित हैं वह दिन मंगलवार और शनिवार हैं। इसके अलावे इसे छठ के 4 दिन भी तोड़ना वर्जित हैं। अर्थात नहा खाय, खरना और अन्य दो दिन भी नहीं तोड़े। अगर आप पूजा में पत्तियों को चढ़ाना चाहते हैं तो पूजा से एक दिन पहले इसे तोडकर रख सकते हैं। इसकी पत्तियां बासी नहीं मानी जाती हैं। वर्जित दिनों में शमी पत्र तोड़ना देवताओं को नाराज करता हैं। जिस दिन आप शमी की पूजा करते हैं उस दिन भी इसकी पत्तियों को न तोड़े।
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शमी पत्र कितने दिन तक बासी नहीं होता
शास्त्रों के अनुसार, शमी बहुत ही पवित्र पौधा हैं। इसके फुल और पत्तों को भगवान पर चढ़ाया जाता हैं। इसकी पत्तियां जब तक खराब नहीं हो जाती हैं तब बासी नहीं मानी जाती हैं। महाभारत काल में अर्जुन के अस्त्र – शास्त्रों की रक्षा इसी वृक्ष ने की थी। इसमें देवताओं का वास होता हैं अत: इसकी पत्तियों को बासी नहीं माना जाता हैं।
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शिवलिंग पर शमी पत्र कैसे चढ़ाएं
- सबसे पहले बीना खाना खाएं स्नान करके शिवलिंग की तरफ मुख करने बैठ जाएं
- उसके बाद तोड़े गए बेल पत्र, शमी के पत्र आदि के साथ-साथ जल भगवान को अर्पित करें
- शिवलिंग पर जल पूर्व दिशा की ओर मुख कर चढ़ाना चाहिए।
- शमी की पत्तियों को गंगा जल में मिलाकर भी चढ़ा सकते हैं।
- चढाने के साथ-साथ भगवान शिव के मन्त्रों का जाप अवश्य करें।
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शिवलिंग पर शमी पत्र चढ़ाने के फायदे
जो भी भक्त शिवलिंग पर शमी के पत्ते को सच्ची श्रद्धा के साथ अर्पित करते हैं उन्हें जीवन में कभी भी कष्ट का सामान नहीं करना पड़ता हैं। इसे शिव जी पर चढाने से राहू-केतु और शनि दोष से मुक्ति मिलती हैं। शत्रु की स्थिति कमजोर होने लगती हैं। जीवन की समस्त बाधाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं। परिवार में लड़ाई-झगड़े नहीं होते हैं। घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश करने से डरती हैं। माताओं का आशीर्वाद याचक पर बना रहता हैं।
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निष्कर्ष – शमी पत्र कब तोड़ना चाहिए ?
इस पोस्ट में मैंने आपको बताया हैं की शमी पत्र कब तोड़ना चाहिए और कब नहीं । शिवलिंग पर शमी पत्र कैसे चढ़ाएं इसकी भी जानकारी इस पोस्ट में दी गयी हैं। शमी का पौधा तुलसी के पौधे जैसी ही पवित्र मानी जाती हैं। राम जी ने रावण का वध करने के लिए इस पौधे की पूजा अर्चना की थी। इस पौधे की फुल और पत्तियों को शिव और गणेश भगवान पर चढ़ाया जाना अति शुभ माना गया हैं। परन्तु ध्यान रहें की आपकी पूजा तभी सफल होती हैं जब मन में ईश्वर के प्रति श्रद्धा और विश्वास हो।
मुझे आशा हैं की आपको आज की यह जानकारी ” शमी पत्र कब तोड़ना चाहिए और कब नहीं – शिवलिंग पर शमी पत्र कैसे चढ़ाएं ” अच्छी लगी होगी। इस जानकारी को सोशल मीडिया पर शेयर कर पुण्य के भागी बने।
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