माहवारी सम्बन्धी समस्याएं – जाने विस्तार से

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माहवारी सम्बन्धी समस्याएं: नमस्कार दोस्तों आज हम लेकर आए है एक बेहद ही संजीदा टॉपिक जो महिलाओ के जीवन में बहुत महत्त्वपूर्ण होता है जी हा दोस्तों आज हम माहवारी सम्बन्धी समस्याएं क्या है और इसके समाधान के बारे में बात करने वाले है।

माहवारी सम्बन्धी समस्याएं
माहवारी सम्बन्धी समस्याएं

माहवारी क्या होता हैं?

दोस्तों माहवारी सम्बन्धी समस्याएं क्या है यह जानने से पहले हमे यह जानना होगा की माहवारी क्या होता है।

दोस्तों माहवारी यानि की मासिक धर्म एक ऐसा चक्र है जिसमें महिलाओ के योनि मार्ग से 4 या 5 दिन के लिए रक्तस्राव होता है। यह प्रक्रिया हर लड़की और महिला के साथ होती है। इसका चक्र 28 से 35 दिन के बीच में होता है। माहवारी का आरंभ 12 से 13 वर्ष की उम्र में शुरू होता है लेकिन आजकल यह 9 वर्ष से भी किसी किसी को शुरू हो जाता है। माहवारी का ये चक्र 12 वर्ष की आयु से शुरू होकर 44 या 45 साल की उमर तक चलता है यानि इस उम्र में आते आते आपके राजोनिवृति या मेनोपॉज हो जाता है।

माहवारी सम्बन्धी समस्याएं क्या है 

सबसे पहली समस्या आती है माहवारी या तो देर से होती है या होती ही नही है।

दोस्तो कुछ लड़कियों को यह समस्या आती है की उन्हे सोलह वर्ष की होने के बाद भी माहवारी नहीं होती है या फिर फिर कुछ लड़कियों को तो माहवारी होती ही नहीं है। ऐसे में उन्हे डॉक्टर से संपर्क करके सलाह लेनी चाहिए हो सकता है की उनके अंदर ही कही रक्त एकत्रित हो रहा हो या फिर उनके जनन अंगो में कुछ परेशानी हो।

कम आयु में ही माहवारी का आना

आजकल 9 या 10 साल की लड़कियों में यह देखा जाता है की उन्हे इतनी कम उम्र में ही माहवारी आना शुरू हो जाती है। लेकिन यह कोई समस्या या बीमारी नहीं होती है। जिन लकड़ियों में माहवारी 9 या 10 वर्ष तक की उमर में आरंभ हो जाती है उन्हे इसका पूरा ज्ञान नहीं होता इसलिए उन्हें इसके बारे में पूर्ण जानकारी देनी आवश्यक है और उन्हे डिंब उत्सर्न और लिंग उत्पीड़न होने पर गर्भ ठहरने के बारे में भी बताना चाहिए। जब कम उम्र में माहवारी होने लगती है तो लड़कियों की उम्र भी बढ़ना कम हो जाती है। इसके लिए उनकी डाइट का ध्यान रखे और उन्हे पोष्टिक खाना देना शुरू करें। साथ ही उन्हें योग करने के लिए कहे।

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माहवारी में रक्त का स्राव कम या ज्यादा होना

यह एक कॉमन प्रोब्लम है जो महिलाओ में माहवारी के दौरान होती है। इस समस्या में कुछ महिलाओ को माहवारी में अत्यधिक ब्लीडिंग होने की समस्या होती है। जिसके कारण महिलाओ में रक्त की कमी होने की संभावना रहती है और कुछ महिलाओ और लड़कियों में यह प्रॉब्लम भी आती है की उन्हे ब्लीडिंग बहुत कम होती है। इस प्रोब्लम के कारण उन्हें भविष्य में गर्भवती होने में समस्या हो सकती है। अचानक से वजन बढ़ना शुरू हो सकता है और हार्मोंस का संतुलन बिगड़ सकता है। माहवारी में रक्तस्राव हर महिला के शरीर अनुसार अलग अलग मात्रा में होता है।

आयुर्वेद के अनुसार हर बीमारी का कारण वात, पित और कफ के कारण होता है। यह प्रोब्लम महिलाओ को काफी हद तक इसी वजह से होती है। इसलिए उन्हें अपने आहार और जीवन शैली का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।

बहुत ज्यादा रक्तस्राव का होने पर आप अपने डॉक्टर से बात करे उन्हे आप ज्यादा रक्त स्राव होने के कारण जान कर उचित दवाई ले सकती है।

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माहवारी में बहुत ज्यादा दर्द होना

माहवारी के दौरान कुछ महिलाओ में दर्द कम, कुछ में सामान्य और कुछ महिलाओ को बहुत ज्यादा असहनीय दर्द से गुजरना पड़ता है। यह दर्द इतना असहनीय हो सकता है की कुछ महिलाओ को बुखार, उल्टी, चिड़चिड़ेपन से गुजरना पड़ता है। और पेट में ऐठन के साथ तेज दर्द होता है। इसका कारण यह भी होता है माहवारी में बच्चेदानी का मुंह लगभग एक से डेढ़ इंच खुलता है ताकी जो रक्त है वह बाहर निकल सके। दूसरा कारण इसका बहुत ज्यादा ब्लड क्लोटिंग भी होता है। 

अचानक माहवारी का बंद होना 

कभी कभी ऐसा होता है की महिलाओ को माहवारी आना अचानक बंद हो जाती है। इसका कारण यह भी हो सकता है  उन्हे एमेनोरीया की शिकायत हो यानी अंडे बनना बंद हो जाते है। ऐसा होने पर आपके गर्भवती होने की संभावना खतम हो जाती है।

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प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम 

माहवारी आने से पहले इसके लक्षण दिखना शुरू हो जाते है जैसे चिड़चिड़ापन, अचानक से मूड बदलना, टेंशन होना सिर दर्द रहना, पेट में दर्द होना, स्तनों में दर्द होना आदि प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षण है।

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जाने माहवारी सम्बन्धी समस्याएं और उनसे राहत पाने का तरीका

माहवारी सम्बन्धी समस्याएं तो हमने जान ली अब इन समस्याओं से राहत पाने के तरीके भी जान लेते है।

1. अनार और चुकंदर का सेवन

अनार और चुकंदर दोनो ही खून बढ़ने में मदद करते है। इनका सेवन करे आप रोज नहीं तो माहवारी की तारीख आने के 10 दिन पहले इन्हें खाना शुरू कर दे। लेकिन यह उपाय उन महिलाओ के लिए है जिन्हें अनियमित माहवारी आती है या बिल्कुल कम रक्तस्राव होता है। यदि माहवारी न होने के कोई अन्य कारण है तो आप दालचीनी का भी उपयोग कर सकती है। आप इसे पानी में उबाल कर या चाय में डालकर कैसे भी उपयोग ले सकती है।

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2. योग और एक्सरसाइज

प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम की प्रोब्लम से निजात पाने में योग बहुत ज्यादा सहायक है क्योंकि योग शरीर को पूर्ण रूप से स्वस्थ करने की क्षमता रखता है साथ ही योग से हार्मोंस का भी बैलेंस बना रहता है। 

3. उचित आहार

कई बार बॉडी में पोषक तत्वों की कमी हो जानें पर भी माहवारी से संबंधित समस्याएं हो जाती है। और इसका मुख्य कारण बहुत बार संतुलित आहार की कमी भी होता है। 

उचित आहार और नियमित योग अभ्यास करना कम आयु में माहवारी आने की प्रोब्लम से भी बचाता है और सही उम्र आने पर ही माहवारी आरंभ होती है।

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4. जीवनशैली में सुधार

कहते है की पहले की महिलाएं ज्यादा स्वस्थ होती थी क्योंकि उनकी एक नियमित दिनचर्या होती थी और वे घर का शुद्ध खाना खाती थी। और तनाव मुक्त जीवन जीती थी।

लेकिन आजकल की महिलाएं काफी बिगड़ी हुई जीवनशैली जीती है। वे बाहर का जंक फूड खाती है, विटामिन्स की पूर्ति पर ध्यान नहीं देती है। ऐसी लाईफ जीने के कारण ही उन्हें माहवारी से जुड़ी अनेक प्रोब्लम से जूझना पड़ता है। बहुत ऐसा भी होता है की माहवारी के तेज दर्द से राहत पाने के लिए खुद से ही दर्द निवारक दवाई ले लेती है। किंतु यह भविष्य में उनके लिए नुकसानदाई हो सकता है किसी भी दवाई का मात्र नाम जानकर खुद बीना डॉक्टर से पूछे ले लेना भारी पड़ सकता है। क्योंकि माहवारी काफी संजीदा होती है तो बीना डॉक्टर की सलाह के कोई लापरवाही ना करे।

तो दोस्तो यह थी माहवारी सम्बन्धी समस्याएं और उनसे जुड़े कुछ समाधान। हम उम्मीद करते है आपको यह जानकारी पसंद आयेगी। दोस्तो अगर आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया तो इसे लाईक शेयर जरुर करे, क्या पता आपके एक शेयर करने से किसी की मदद हो जाए और उसे सही समय पर सही जानकारी मिल जाएं। आपका इस पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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FAQ

Q. मासिक धर्म के दौरान चिपचिपा खून आने का मतलब क्या है?

Ans: यह मासिक धर्म का ऐसा पीरियड होता है जहां रक्त स्राव सबसे ज्यादा होता है।

Q. निर्मल पीरियड में ब्लड कैसा होता है?

 Ans: गुलाबी, लाल और भूरा 

Q. अगर मासिक धर्म में ब्लड काला आए तो इसका क्या मतलब है?

Ans: इसका मतलब होता है की यह वह ब्लड है जो अब तक आपके गर्भाशय में काफी वक्त से ठहरा हुआ था ऑक्सीकरण की कमी के चलते इसे बहार आने में समय लगता है जिसके कारण यह काला दिखाई देता है।

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