Schizophrenia In Hindi : – नमस्कार दोस्तों आज के इस article में हम बात करेंगे Schizophrenia रोग को लेकर यानी Schizophrenia(Schizophrenia In Hindi) क्या है , इसके लक्षण क्या है , इसका इलाज क्या है और Schizophrenia रोग क्यों होता है। तो चलिए आपको डिटेल में इस रोग के बारें में बताते है। Schizophrenia एक मानसिक रोग है जो किसी भी व्यक्ति को हो सकता है शायद ये आपको भी हो। इस रोग में रोगी को विश्वास ही नहीं होता की उसे कोई मानसिक बिमारी है। Schizophrenia को कई बार हम मल्टीप्ल पर्सनालिटी डिसऑर्डर से जोडकर देखते है लेकिन आपको बता दे की ये दोनों रोग बिलकुल ही अलग है। लेकिन हाँ इन दोनों रोग के लक्षण बहुत हद तक मिलते है। Schizophrenia स्त्री हो या पुरुष, बच्चे हो या बूढ़े किसी को भी प्रभावित कर सकती है। यह रोग किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन बच्चो में Schizophrenia रोग होने पर ये पता कर पाना बहुत मुश्किल है की वो किसी मानसिक रोग ( Schizophrenia In Hindi ) से ग्रसित है।
Schizophrenia का अब तक कोई सटीक इलाज नहीं है लेकिन आज आपको इस आर्टिकल के जरिये मैं एक ऐसा उपाय बताऊंगा जिससे आप आसानी से Schizophrenia से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते है। Schizophrenia आज के भागदौर वाली जिंदगी में बेहद आम हो चुकी है किसी भी तरह की मानसिक टेंशन इसका प्रमुख कारण है। गाँव में जब किसी को Schizophrenia होता है तो लोग अन्धविश्वास के कारण इसे भुत प्रेत समझ लेते है या फिर इसे दैवीय प्रकोप समझ बैठते है लेकिन सच्चाई कुछ और ही है। Schizophrenia आमतौर पर 18 वर्ष के बाद ही लोगों में दिखाई देना शुरू होता है चूँकि ये किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन स्पष्ट रूप से 18 वर्ष के बाद ही लोग इसे समझ पाते है या फिर इसके लक्ष्ण दिखाई देते है। Schizophrenia को स्प्लिट माइंड भी कहते है क्योकि इस रोग में व्यक्ति 2 या अधिक रूपों में खुद की कल्पना करता है। और अपनी ही बनाई दुनियां में अक्सर खोया रहता है।
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Schizophrenia के प्रमुख लक्षण
1. Schizophrenia से ग्रसित लोगों को कई तरह की आवाजें सुनाई दे सकती है साथ है ऐसी आकृतियाँ दिखाई दे सकती है जो वास्तव में है ही नहीं। इन आवाजों में ऐसी आवाजे होती है जो उस व्यक्ति से ही जुड़ा होता है जैसे बचपन में व्यक्ति के साथ हुई कुछ असामान्य घटना की आवाज या फिर जिन्होंने काफी तकलीफ दी हो। कुछ स्थतियो में कुछ ऐसे चित्र दिखाई देते है जिनका वास्तविकता से दूर-दूर तक कोई सम्बन्ध ही नहीं है। कई बार रोगी खुद ही मन में कुछ बोलता है और उसे लगता है ये कोई और बोल रह है।
2.इस रोग ( Schizophrenia In Hindi ) में रोगी को ऐसा प्रतीत होता है की आसपास के सभी लोग उसके विषय में ही बात करते है या फिर उसे हानि पहुचाने की कोशिश कर रहे है। रोगी को ये भी अनुभव हो सकता है की सामने वाला उसे जहर दे सकता है। रोगी अत्यंत ही संवेदन शील हो जाता है और बात बात पर हर किसी पर शक करने लगता है। Schizophrenia का मुख्य लक्षण शक करना ही है। दो व्यक्ति अगर बातें कर रहे है तो रोगी को लग सकता है की वे उनके ही विषय में बातें कर रहे है उसकी ही आलोचना कर रहे है। ऐसी स्थिति में रोगी बार बार उसे सुनने का प्रयत्न करता है या फिर अजीब सी हरकते करने लगता है जैसे सर पीटना , बाल नोचना आदि।
3.इस मानसिक बीमारी ( Schizophrenia In Hindi ) में रोगी खुद कभी अचानक से रोने लगता है तो कभी अचानक से हंसने लगता है। रोगी हर वक़्त गहरी सोच में ही डूबा रहता है कभी कभी तो वो सामने वाले की बात तक नहीं सुनता। जी हाँ रोगी बार बार बुलाने पर भी बिलकुल रियेक्ट नहीं करता है।
4. किसी भी काम में मन नहीं लगना दिन भर इधर उधर घूमते रहना या बिलकुल भी कहीं नही घूमना भी इस रोग के प्रमुख लक्षण है। इस रोग में रोगीं इतना शक्की हो जाता है की अपने शक को दूर करने के लिए रोगी किसी भी हद तक जा सकता है जैसे रोगी उनके पास अधिक जाने लगता है जिनपे उसे शक है। वो अपने शक को दूर करने के लिए सामने वाले से अकारण ही कुछ भी बातें करने लगता है। यहाँ तक की रोगी 1 से 2 साल के बच्चे पर भी शक करने लगता है जो की काफी गंभीर होते है।
5.इस रोग में व्यक्ति बहुत सुस्त सा हो जाता है रोगी की यादाश्त भी कमजोर होने लगती है उसे अपने दैनिक कार्यों में भी कोई रूचि नहीं रह जाती है। हर वक़्त वो अपने ही विचारों में खोया रहता है और सोचता रहता है की लोग उसके बारें में क्या सोच रहे होंगे।
6.रोगी को जब हवा की सरसराहट , या पत्तों के झड़ने तक की भी आवाजें आती है तो रोगी डर-सा जाता है क्योकि रोगीं को उनसे भी ऐसी आवाजे सुनाई देती है जो आवाज उसे बचपन से परेशान कर रही होती है। इस रोग में रोगीं को अपने बचपन के सारी बुरी घटनाएँ याद रहती है जो उसे बचपन में काफी परेशान किया करती थी।
7.कभी कभी तो रोगी इतना डर सा जाता ही की वो घर से बाहर तक नहीं निकल पाता है क्योकि उसे डर रहता है की वो अगर निकलता है तो उसे परेशान करने वाली आवाजें या आकृतिया दे सकती है।
8.रोगी का बहुत जयादा साफ़ सफाई पे ध्यान या बिलकुल भी ध्यान नहीं देना भी इस रोग के प्रमुख लक्ष्ण है। दरसल इस रोग से ग्रसित लोग नहाने से कतराते है या बार बार अपने हाथ धोते है।
9. रोगी को लग सकता है की उसके अंदर कोई और है जो उसके मष्तिष्क को नियंत्रित कर रहा है , उसको ये भी लग सकता है की वो खुद भगवान है या उनका भेजा गया दूत। रोगी इस रोग में अक्सर ही स्वयं को दैवीय शक्ति समझता है। जब उसे Schizophrenia अधिक सताने लगता है तो वो अपनी काल्पनिक दुनियां में खो जाता है ताकि कुछ घंटों के लिए उसे इस बीमारी से राहत मिल सके।
10. रोगी काल्पनिक दुनिया में खोया रहता है। दरसल जब रोगी को ये रोग अधिक सताने लगता है तो मनुष्य का मष्तिष्क इस रोग को ख़त्म करने के लिए स्वयं ही प्रयत्न करने लगता है। ये तो सभी जानते है इन्सान भगवान का बनाया हुआ सबसे नायाब रचना है। इन्सान को हर तरह की मुश्किलों लड़ सकने में समर्थ बनाया गया है और यही कारण है की मष्तिष्क स्वयं ही इस रोग को खत्म करने की कोशिश में लग जाता है। जैसे ही यह रोग किसी मनुष्य को प्रभावित करता है मष्तिष्क स्वयं ही एक अलग दुनियां , एक अलग शक्ति या व्यक्ति की कल्पना करने लगता है जो की वह सवयं ही है। और उसी काल्पनिक दुनिया में वो स्वय को हमेशा पाता है। ये काल्पनिक दुनियां उसे रोग से दूर रखने में मदद करती है। लेकिन इस रोग को समय रहते खत्म करना आवश्यक हो जाता है नहीं तो Schizophrenia पूरी तरह से इन्सान को अपने वश में कर लेता है जिसके कारण उसे अपने परिवार की शुध नहीं होती है।
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11.Schizophrenia के मरीज बात बात पर झगडा कर सकते है हालाँकि ये ज्यादा हिंसक नहीं होते है। रोगी को इस रोग में लग सकता है की आसपास के लोगों ने चरों तरफ कैमरा लगा दिया जिससे वे उसकी जासूसी करते है।
12.Schizophrenia के मरीज अक्सर अपने कमरें में भी डरे सहमें से रहते है उन्हें ऐसा लग सकता है की कोई उन्हें देखा रहा है या फिर कोई कमरें में है मरीज अक्सर ही बेड के निचे , सोफे के अंदर कुछ ढूंढते हुए दिखाई दे सकते है लेकिन सच तो ये है वे किसी के होने की कल्पना करते है उन्हें लगता है की उनके बेड के निचे कोई हो सकता है। हद तो तब है जब रोगी ऐसी जगहों पे भी ढूंढते हुए दिखाई देते है जहाँ एक छोटा चूहा भी अंदर नहीं जा सकता है।
13.Schizophrenia के मरीज का असर अक्सर ही गर्म रहता है उनके दिल की धडकन नार्मल इन्सान की तुलना में ज्यादा हो सकती है उनके हार्ट में हल्का पेन भी सकता है।
14.रोगी अगर किसी रोड पे चल रहा है तो उसे लग सकता है की कोई उसका पीछा कर रहा है।
15.रोगी अगर ये जानता है की उसे Schizophrenia ( Schizophrenia In Hindi )है तो भी रोगी का मन ये मानने को तैयार ही नहीं होता है की उसे कोई रोग है।
16.और सबसे खतरनाक स्थिति तो ये है की ये सभी लक्षण जानने के बावजूद रोगी को ये लगता है की वो जो करता है , सुनता या फिर उसे जो भी दिखाई देता है वो ही परम सत्य है इसके अलावे कुछ भी सत्य नहीं। जी हाँ रोगी परिवार के सभी सदस्यों की बातें भी झूठी लगने लगती है जो भी वो फील करता है बस उसे ही वो सच मानता है।
17. रोगी अत्यधिक नशा करने लगता है दरसल नशा कुछ मिनटों के लिए उसे आराम दो दे सकता है लेकिन नशा करने से रोगी की मानसिक स्थति और भी ज्यादा बिगड़ जाती है इसलिए रोगी को नशा करने से जरुर रोके। अक्सर देखा गया है की जो व्यक्ति इस रोग से ग्रसित होते है वे सिगरेट अत्यधिक पीते है।
18. रोगी कई दिनों तक नहीं नहाता मुंह नही धोता यहाँ तक की उसे खाने पीने की सुध तक नहीं रहती है।
19 . रोगी को जल्दी नीन्द नहीं आती है।
20.रोगीं लोगों से बात करते वक़्त आँख मिलाकर बात तक नहीं करता है। और कई बार किसी टॉपिक पर बात करते करते उस टॉपिक को ही भूल जाता है और किसी अन्य टॉपिक पर बात करने लगता है।
21.Schizophrenia के रोगी अक्सर ही एनक के सामने खुद को निहारते रहते है की कई उनमें कोई कमी तो नही। वे हीन भावना से ग्रसित हो जाते है उन्हें ऐसा लग सकता है की जरुर उनमें कोई कमी जिसके कारण लोग उन्हें पसंद नहीं करते है जबकि ये सिर्फ उनकी कल्पना होती है , उनका शक होता है।
22. कई सारे साक्ष्य होने के बावजूद वो खुद को समझा नहीं पाते की वे जो भी महसूर करते है वो सब भ्रम मात्र है उसका वास्तविक दुनियां से कोइ नाता नहीं है।
23. रोगी कई बार अपने परिवार के सदस्यों को भूल जाता है। वो ये भी भूल सकता है की उसका कोई बेटा भी है या पत्नी भी है।
24. रोगी को कई बार अकेले में खुद से बातें करते हुए दिखाई दे सकते है जैसे अकेले में बुदबुदाना।
25.रोगी बार किसी वस्तु को देख रहा है इसका अर्थ है की उसे भ्रम है की कही वो वस्तु किसी की परछाई तो नहीं।
26.रोगी को बार बार ये भ्रम हो सकता है की घर को लॉक किया था या नहीं। या फिर ऐसा भी भ्रम हो सकता है की कही उसका smartphone किसी ने हैक तो नहीं कर लिया। और उसके सहारे उसपे कोई नजर तो नहीं रख रहा।
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Schizophrenia रोग होने के कारण – Schizophrenia In Hindi
Schizophrenia ( Schizophrenia In Hindi ) एक ऐसी मानसिक स्थिति है जहाँ लोग खुद को अकेला महसूस करने लगते है उन्हें लगता है की सभी उनसे नफरत करते है या उन्हें मारने की कोशिश कर रहे है इस रोग के कुछ मुख्य कारण है जो आप निचे पढ़ सकते सकते है :-
1. Schizophrenia का मुख्य कारण आनुवंशिक माना जाता है हालाँकि ये पूरा सच नहीं है लेकिन हाँ अनुवांशिक कारणों से भी सिजोफ्रेनियाँ हो सकता है अगर आपके परिवार में किसी सदस्य को ये बीमारी है तो 10 % चांस है की आपको भी ये बिमारी हो जाएँ लेकिन ये जरुरी भी नहीं की अगर आपके माता पिता को ये बिमारी है तो आपको भी हो।
2.सामाजिक :-जी हाँ सामाजिक दबाव या बचपन की कोई बुरी यादें या कोई एक्सीडेंट भी इस रोग का कारण बन सकता है लेकीन आज के समय में लोगों को इतना मानसिक टेंशन रहता है की वे अक्सर ही इस बिमारी के शिकार हो जाते है।
3.जन्म के समय या गर्भावस्था के दौरान सही से भ्रूण का विकसित न होना भी इस बिमारी का कारण हो सकता है।
4.कई बार असामान्य रूप से हार्मोनल changes भी इस बीमारी का जनक हो सकता है।
5.खाली बैठने से भी इस बिमारी को पनपने का मौका मिलता है।
6. पैसों की किल्लत यानी बेहद ख़राब आर्थिक स्थिति भी इस रोग को को जन्म दे सकती है।
7.सामाजिक तौर पे बहिष्कार या फिर दोस्तों का न होना , लोगों से ज्यादा बातें न करना भी इस रोग का कारण हो सकता है।
8.Schizophrenia रोग होने का एक और महत्वपूर्ण कारण है पारिवारिक असामनता मान लो आपके घर में कई सदस्य है लेकिन जब हर कोई आपको कम इम्पोर्टेंस देने लगता है और परिवार के ने सदस्यों को ज्यादा तो इस स्थिति में ही लोग हीन भावना के शिकार हो जाते है।
9.आज के समय में काम करने वाले और बिजी रहने वाले व्यक्ति को भी इस रोग से ग्रसित होते हुए देखा गया है दरसल जब ऑफिस में आपको आपके बॉस सबके सामने फटकार दे तो या फिर आपके काम को लेकर जब बार सवाल उठाये जाते है तो आप इस स्थिति में अपने ऑफिस के अन्य सदस्यों पर शक करना शक कर देते है। और यही से शुरू होता है ये रोग।
10. माना जाता है की हमारे मष्तिष्क में की अनिमितता के कारण भी ये रोग जन्म लेती है।
Schizophrenia का घरेलू उपचार। Schizophrenia Treatment Without Medicine In Hindi
Schizophrenia चुकी यह एक मानसिक रोग है इसलीये मैं आपको दवा लेने की सलाह बिलकुल नहीं दूंगा। लेकिन कुछ उपाय बताऊंगा जिससे आप इस रोग से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते है या आप किसी मानसिक रोग के डॉक्टर से मिल कर इसका इसका निदान करवा सकते है। कई मानसिक रोग के डॉक्टर इस रोग में दवा लेने का सुझाव नहीं देते है क्योकिं ये आगे चलकर आपके शरीर में अन्य बीमारिया पैसा कर सकती है। मानसिक रोग के इलाज में दवा कुछ समय के लिए प्रभावकारी तो होती है लेकिन लम्बे समय तक इन दवाओं को लेने से और भी कई तरह की परेशानियाँ आपको झेलनी पड़ सकती है। इसलिए जहाँ तक हो सकें खुद या परिवार की मदद से आप इस रोग को स्वयं ही ठीक कर सकते है। तो चलिए बताते है की आप इस रोग को बिना दवा के कैसे ठीक कर सकते है।
1. सबसे पहले तो रोगी को इस रोग के बारे में पूरी जानकारी दे , ध्यान रहें की रोगी के रोग के बारें में किसी अन्य को न बताएं ये परिवार तक ही सिमित रहे तो ठीक है क्योकि रोगी अपने रोग को लेकर बहुत संवेदनशील हो सकते है। रोगी कतई ये नहीं चाहेगा की किसी दुसरे को उसके रोग के बारें में पता चले। इसका सबसे बड़ा कारण ये है की रोगी को लग सकता है की दुसरे उसके रोग का मजाक बनायेंगे।
2.इस रोग में अक्सर रोगी आपकी बातों को अच्छी तरह समझ पाने सक्षम नहीं होते है तो अगर परिवार में ऐसा कोई सदस्य है जिसपे रोगी सबसे अधिक विश्वास करता हो तो उसके द्वारा ही रोगी को इस रोग के बारें में बताना चाहिए। और ध्यान रहें की रोगी प्यार से और तथ्यों और साक्ष्यों के साथ ही समझाएं। जैसे माँ लिजियें की रोगी को आवाजे सुनाई देती है तो उसके साथ समय व्यतीत कर आप उन आवाजों का विश्लेशन करें और बताएं की ये आवाजे कहाँ से आ रही है किसकी है। जब आप साक्ष्य के साथ इन सब चीजों को रोगी को बताएँगे तो 1 से दो महीने में ही रोगी ठीक होने लगता है।
3.रोगी को घर से दूर रखें क्योकि जहाँ ये परेशानियाँ हो रही है हो सकता है की उस जगह से उसकी बचपन की बुरी यादें जुडी हो जो उसे परेशान कर रही है। इसलिए संभव हो तो उस जगह से 2 या 4 महीनों के लिए दूर रहे है।
4.अगर रोगी खाली बैठा रहता है तो उसे कुछ काम दे ताकि उसका मन किसी और काम में व्यस्त रहें क्योकि मन बहुत चंचल होता है जब आप कुछ नहीं कर रहे होते है तो ये इधर उधर की बातें सोचने लगता है।
5.इस रोग को ठीक करने के लिए दृढ इच्छा शक्ति का होना अत्यंत आवश्यक है। अगर आपको एक बार ये विश्वास हो गया की ये रोग है तो आप खुद मन में ठान सकते है की सभी आवाज,शक को इग्नोर करने से इसे रोग से बचा जा सकता है।
6.आप किसी ऐसी जगह कुछ दिनों के लिए घुमने जा सकते है जहाँ आपका मन लगता हो जहाँ आप खुद को सुरक्षित महसूस करते हो। क्योकिं कई बार एक जगह रहने से भी ये रोग हावी होने लगता है।
7. रोगी को इस रोग में नींद की समस्या रहती है इसलिए ध्यान रखें की उचित मात्रा में प्रोटीन और विटामिन युक्त भोजन दिया जाएँ ताकि समय पर नीन्द आयें क्योकि इस रोग में नींद की बेहद आवश्यकता होती है। कमसे कम 7 घंटें की नींद Schizophrenia रोगियों के लिए अनिवार्य है।
8.Schizophrenia (Schizophrenia In Hindi) के रोगियों के लिए व्यायाम बेहद आवश्यक है इससे उनका ध्यान तो बटेगा ही साथ ही उनका शरीर भी फिट रहेगा।
9.अगर आप स्वयं इस रोग से ग्रसित है तो सबसे पहले खुद को बिजी रखें ताकि आपका मन कुछ और सोचने को मजबूर न हो सके।
10.आप एक डायरी भी लिख सकते है वो डायरी आपको इस रोग से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है। आप अपने साथ रोज होने वाली बातों को उस डायरी में नोट करें। जैसे मान लो की आपको ये बीमारी 2 साल से है जितने भी दिनों से है तब से लेकर आज तक आपके साथ क्या क्या हुआ है और आपने कैसे उस भ्रम को दूर किया है और आपका भ्रम कैसे टुटा ये सब नोट करें। इससे आपको भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी।
11. इस रोग के होने पर ऐसे लोगों से दुरी बनायें जो आपको मानसिक तौर पे परेशान करते है या फिर कर सकते है।
12. Schizophrenia के होने पर आपको परिवार के साथ ज्यादा वक्त बिताना चाहिए क्योकिं परिवार ही आपको सही गलत सही ज्ञान दे सकती है। खासकर अपने माता पिता से इस मामले में जरुर हेल्प ले। उन्हें इस रोग के बारें में बताने से बिलकुल संकोच न करें।
13.रोगी इस रोग से आसानी से छुटकारा पा सकते है अपने दृढ इच्छा शक्ति से किसी भी भ्रम से उन्हें लड़ना होगा। अगर कोई भ्रम या किसी पे कोई शक है तो रोगी को उस भ्रम या शक को दूर करने की कोशिश बिलकुल नहीं करनी चाहिए। रोगी को बस ये मान लेना चाहिए की ये एक बीमारी है , जो भी आवाजे उन्हें सुनाई देती है या जो भी उन्हें भ्रम है वो सब बिमारी के कारण है , अगर रोगी ये मन में ठान ले तो ये बिमारी खुद ही आपसे दूर चली जाएगी। दरसल इस रोग में रोगी को विश्वास ही नहीं होता है की वो मानसिक तौर पे बीमार है उसे लगता है की वो जो देख रहा है या सुन रहा है वो सब सच है। इसलिए रोगी को अपने बात पे अडिग रहना है की सब भ्रम है।
Sundarta Blog का यह पोस्ट (Schizophrenia In Hindi) निश्चित ही आपको इस बिमारी से निकलने में मदद करेगा।
Sundarta Badhane Ke Upay | सुंदरता के टिप्स
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