डिलीवरी होने के लक्षण – अगर यह संकेत मिले तो जल्द जाएँ हॉस्पिटल

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डिलीवरी होने के लक्षण – अगर यह संकेत मिले तो जल्द जाएँ हॉस्पिटल – 9 महीने के लम्बे इन्तेजार के बाद जब एक महिला डिलीवरी के अंतिम सप्ताह में होती हैं तो महिला के अंदर कई तरह के सवाल उठते रहते हैं। जब प्रेगनेंसी के 9 महीने पुरे हो जाते हैं तो प्रसव पीड़ा शुरू होती हैं जिसके बाद महिला को हॉस्पिटल ले जाने की जरूरत हो सकती हैं। अगर महिला पहली बार प्रेग्नेंट हुई हैं तो प्रसव पीड़ा के संबंध में अधिक जानकारी नहीं होने के कारण अक्सर तनाव की शिकार हो जाती हैं।

डिलीवरी होने के लक्षण - अगर यह संकेत मिले तो जल्द जाएँ हॉस्पिटल
डिलीवरी होने के लक्षण – अगर यह संकेत मिले तो जल्द जाएँ हॉस्पिटल

प्रसव पीड़ा के शुरू होने पर प्रेग्नेंट औरत को अगर तुरंत अस्पताल न ले जाया जाएँ तो इससे महिला के साथ-साथ शिशु को भी नुकसान पहुँचता हैं। इसलिए हर महिला को डिलीवरी होने के लक्षण का पता होना आवश्यक हैं ताकि समय पर डिलीवरी हो सकें। तो आइयें आपको इस पोस्ट के माध्यम से डिलीवरी होने के कुछ महत्वपूर्ण लक्षण बताते हैं:

ज्यादात्तर मामलों में प्रेग्नेंट महिला को 36 वे सप्ताह से लेकर 40वे सप्ताह के बीच कभी भी प्रसव पीड़ा हो सकती हैं। दोस्तों लेबर पेन शुरू होने से पहले शरीर कई संकेत देता हैं जिसे समझना आवश्यक हैं। महिलाओं में यह आम धारणा हैं की प्रसव पीड़ा अचानक से कभी भी शुरू हो सकता हैं। लेकिन इससे पहले कई अन्य संकेत या डिलीवरी होने के लक्षण दिखाई देते हैं। अगर आप उन संकेतों पर ध्यान देंगे तो डिलीवरी के लिए सही समय पर यानी प्रसव पीड़ा से पहले हॉस्पिटल पहुँच सकते हैं। तो आइयें जानते हैं कुछ महत्वपूर्ण संकेत जो डिलीवरी से पूर्व दिखाई देते हैं:

डिलीवरी होने के लक्षण – अगर नीचे बताएं गये लक्षण दिखें तो जल्द जाएँ हॉस्पिटल

1. वाटर लीकेज

गर्भाशय में भ्रूण के विकास के लिए amniotic fluid का एक घेरा होता हैं। अगर गर्भावस्था के अंतिम दिनों में इससे रिसाव शुरू हो जाता हैं तो यह रिसाव पानी जैसे तरल पदार्थ की तरह बाहर निकलने लगता हैं। अत्याधिक रिसाव के कारण बच्चे को खतरा हो सकता हैं। इसलिए इसा स्थिति में हॉस्पिटल जाना सबसे सेफ हैं। यह डिलीवरी होने के बेहद महत्वपूर्ण लक्षण में से एक हैं।

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2. कमर में बहुत अधिक दर्द

अगर आपको अचानक से पीठ में तेज दर्द होना शुरू हो जाता हैं तो यह भी एक महत्वपूर्ण संकेत हैं। दरसल जब डिलीवरी का समय आता हैं तो बच्चे का सिर बाहर की तरफ निकलने लगता हैं। यह बिल्कुल ही प्राकृतिक हैं। इसके कारण महिला की रीढ़ की हड्डी से जुड़ी टेलबोन पर पर प्रेशर पड़ता हैं जो तेज दर्द का कारण बनता हैं। साथ ही अगर गर्भाशय के उपरी भाग में संकुचन जैसा लग रहा हैं तो यह भी डिलीवरी के मुख्य लक्षण हो सकते हैं। हालाँकि यह डिलीवरी से कुछ घंटे पहले या कुछ दिन पहले भी दिखाई दे सकते हैं।

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3. गर्भावस्था के अंतिम दिनों में शिशु के हलचल में कमी

अधिकत्तर मामलों में देखा जाता हैं की गर्भावस्था के अंतिम सप्ताह या डिलीवरी का टाइम नजदीक आने पर शिशु की हलचल में कमी आ जाती हैं। दरसल जब शिशु पूर्ण रूप से विकसित हो जाता हैं तो ऐसी स्थिति में पर्याप्त जगह के आभाव में हलचल कम देखी जाती हैं। इया स्थिति में भी जल्द से जल्द हॉस्पिटल का रुख करें।

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4. प्रसव पीड़ा

शरीर से जब शिशु के बाहर निकलने की प्रक्रिया शुरू होती हैं तो गर्भाशय में बहुत तेजी से संकुचन होता हैं। इस संकुचन की वजह से प्रसव पीड़ा बेहद असहनीय हो जाती हैं। इस स्थिति में ज्यादा देरी करना बच्चे और आपके दोनों के लिए खतरनाक हो सकता हैं।

5. ग्रीवा बका फैलना

जैसे-जैसे डिलीवरी का वक्त नजदिक आने लगता हैं वैसे ही ग्रीवा भी फैलने लगती हैं। ग्रीवा में 10 cm तक का फैलाव देखा जा सकता हैं। यह भी डिलीवरी होने के लक्षण हैं। साथ ही जब डिलीवरी का वक्त नजदीक होता हैं तो अक्सर पेट में खराबी जैसे खाना का न पचना आदि जैसी समस्या देखी जाती हैं।

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निष्कर्ष

गर्भावस्था के अंतिम वक़्त में कई महत्वपूर्ण लक्षण दिखाई दे सकते हैं। जिसमें प्रसव पीड़ा होना और amniotic fluid का शरीर से बाहर निकलना सबसे महत्वपूर्ण लक्षण हैं। ज्यादात्तर लोग प्रसव पीड़ा होने के बाद ही महिला को हॉस्पिटल ले जाते हैं। लेकिन अगर प्रसव पीड़ा से पहले मिले संकेतों को पहचान की जाएँ तो महिला को डिलीवरी से ठीक पहले हॉस्पिटल में कर स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता हैं।

दोस्तों अगर आपको डिलीवरी होने के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो जल्द से जल्द हॉस्पिटल की तरफ रुख करना चाहिए। देरी करने पर कई बार मां के साथ-साथ शिशु को भी नुकसान हो सकता हैं। मुझे उम्मीद हैं की यह पोस्ट आपको बेहद पसंद आई होगी। इस पोस्ट को प्रेग्नेंट लेडी तक जरुर शेयर करें।

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