भगवान परशुराम की पूजा क्यों नहीं होती? – हैरान हो जायेंगे जानकर

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भगवान परशुराम की पूजा क्यों नहीं होती? अक्सर यह सवाल लोग करते हैं। आपको विस्तार से भगवान परशुराम जी से जुड़े सवालों के जवाब इस लेख के माध्यम से मैं देने जा रही हूँ। भगवान परशुराम जन्म से ब्राह्मण हैं उनके माता पिता का नाम रेणुका और जमदग्नि थे। भगवान परशुराम का उल्लेख कई ग्रन्थों में हैं जैसे रामायण, महाभारत और कल्कि पुराण। उन्हें अहंकारी क्षत्रिय राजाओं के विनाश करने के लिए भी जाना जाता हैं। उन्होंने 1 बार नहीं बल्कि 21 बार धरती से क्षत्रियों का नाश कर दिया था। परशुराम जी भगवान शिव के परम भक्त भी हैं जिनसे प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें फरसा प्रदान किया था। उसी फरसे से उन्होंने कई बार अधर्मी क्षत्रियों का नाश किया था। वे कर्म से क्षत्रिय थे जिन्होंने शहस्त्रर्जुन का वध किया था।

भगवान परशुराम की पूजा क्यों नहीं होती?
भगवान परशुराम की पूजा क्यों नहीं होती?

परशुराम जी को कई नामों से संबोधित किया जाता हैं उन्हें जामदग्न्य के नाम से भी जाना जाता हैं। यह नाम उनके पिता के कारण मिला था। परशुराम जी विष्णु जी के छठे अवतार हैं फिर भी इनकी पूजा अन्य अवतारों की भांति नहीं की जाती हैं। भगवान परशुराम की पूजा क्यों नहीं होती? इसके कारण आपको इस पोस्ट में हम विस्तार से बताएँगे लेकिन इससे पहले उनके बारें में और अधिक जानना आवश्यक हैं।

कौन हैं भगवान परशुराम ?

भगवान परशुराम जन्म से ब्राह्मण और कर्म से क्षत्रिय हैं जो श्री हरी के प्रमुख अवतारों में से एक हैं। परशुराम धनुर विद्या में पारंगत थे। उनके पास शार्ङ्ग नामक एक ऐसा धनुष था जिसे उठा पाना किसी और के बस की बात नहीं थी। यह धनुष ऋचीक ऋषि ने उन्हें भेट स्वरुप दिया था। उनका नाम भगवान शिव द्वारा परशु देने के पश्चात् परशुराम पड़ा। उनके गुरु का नाम स्वयं भगवान शिव और ऋचीक ऋषि था। महाभारत काल के कई योध्दाओ को उन्होंने शिक्षा दी थी। भीष्म अर्थात देवव्रत, द्रोणाचार्य, कर्ण जैसे महान योद्धा परशुराम के ही शिष्य हैं। इनके 4 भाई थे रुक्मवान, वसु, विश्वनासण और सुखेण। सभी अपने पिता द्वारा बताएं गए मार्ग पर चलते थे लेकिन भगवान परशुराम ने शास्त्र की जगह शस्त्र को चुनना ज्यादा उचित समझा क्योकिं उस समय अन्याय अपनी चरम सीमा पर थी।

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भगवान परशुराम की पूजा क्यों नहीं होती? जाने कारण

यह कहना बिल्कुल गलत होगा की भगवान परशुराम की पूजा बिल्कुल नहीं होती हैं। ब्राह्मण भगवान परशुराम जी की पूजा करते हैं। खासकर भूमिहार ब्राह्मण खुद को भगवान परशुराम का वंशज मानते हैं। चुकी भगवान परशुराम से समूल क्षत्रिय अहंकारी राजाओं का अंत कर दिया था इसी कारण क्षत्रिय समाज इनकी पूजा नहीं करता हैं। आज के समय में जातिवाद चरम पर हैं ऐसे में सभी जातियों ने भगवान को भी बाँट दिया हैं। जैसे वैध धन्वन्तरी जी को पूजते हैं तो वही कुम्हार विशकर्मा जी को। लेकिन सत्य तो यही हैं की सभी एक ही इश्वर के अंश हैं। इसलिए भगवान परशुराम की पूजा क्यों नहीं होती? यह तो आप समझ ही गए होंगे।

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अन्य कारण – भगवान परशुराम की पूजा क्यों नहीं होती?

इनकी पूजा न करने का एक और कारण बताया जाता हैं। दरसल भगवान परशुराम क्रोधी प्रवृति के थे और एक बार उन्होंने अपने पिता के कहने पर अपनी माता को मार दिया था। लोग मानते हैं उन्होंने जो कार्य किया था वह बहुत ही गलत था। यह भी एक प्रमुख कारण माना जाता हैं। हालाँकि देश में परशुराम जी कई मंदिर हैं जहाँ उनकी पूजा की जाती हैं जैसे – परशुराम मंदिर चिपळूण, परशुराम महादेव मंदिर राजस्थान अरावली, महाराष्ट्र रत्नागिरी, भगवान परशुराम मन्दिर-देवगढ़, परशुराम मंदिर, सलेमपुर, उत्तर प्रदेश आदि।

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परशुराम की मृत्यु कैसे हुई – क्या अभी वे जिन्दा हैं ?

परशुराम भगवान अमर हैं इसलिए उनकी मृत्यु होने का तो कोई सवाल ही नहीं हैं। वे चिरंजीवी हैं जो की विष्णु जी के अवतार हैं। वे आज भी धरती पर मौजूद हैं और भगवान विष्णु एक अन्य अवतार कल्कि की प्रतीक्षा कर रहे हैं। माना जाता हैं की वे तपस्या में अदृष्य रूप में लीन हैं। भगवान कल्कि के अवतार के पश्चात कल्कि के गुरु के रूप में पुन: संसार की रक्षा करने में सहायता करेंगे। बह कल्कि अवतार को शिक्षा देकर सम्पूर्ण संसार की अन्याय और अधर्म से रक्षा करने में सहायता करेंगे।

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निष्कर्ष

दोस्तों भगवान परशुराम की पूजा क्यों नहीं होती? या क्यों कम होती हैं यह तो आप जान चुके हैं। इस पोस्ट के माध्यम से आपको भगवान परशुराम के बारें में सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गयी हैं। इस पोस्ट के माध्यम से आपने जाना हैं की भगवान परशुराम की पूजा और अवतारों की तरह क्यों नहीं की जाती हैं।

आशा ही आपको भगवान परशुराम की पूजा क्यों नहीं होती? इसकी जानकारी मिल गयी होगी। अधिक जानकारी के लिए विकिपेडिया पर पढ़ सकते हैं। ऐसी जानकारियों के लिए आप हमारे ब्लॉग के अन्य पोस्ट को जरुर पढ़ें।

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