जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए – जगन्नाथ पुरी का रहस्य जाने – अगर आप भी जगन्नाथ पुरी जाने की सोच रहे हैं तो मंदिर और उसके रहस्यों के बारें में जरुर जानना चाहिए। यह मंदिर पूरी में स्थित हैं। यहाँ हर दिन हजारों श्रद्धालु मन्दिर दर्शन के लिए आते हैं। उड़ीसा के पूरी में स्थित इस मन्दिर में भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण की पूजा की जाती हैं। इस मन्दिर में श्री कृष्ण के अलावे उनके भाई बहन की भी पूजा की जाती हैं। विश्वकर्मा जी द्वारा बनायी गयी अधूरी बलराम और शुभद्रा की मूर्ति भी यहां स्थापित हैं। महाभारत काल के तीनों भाई बहनों की मूर्तियाँ आधी-अधूरी ही बनायी गयी हैं। इसके पीछे भी एक बड़ा रहस्य हैं। दरसल बनायी गयी मूर्तियों के हाथ नहीं हैं। आइए इसके रहस्यों को जानते हैं और बताते हैं की जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए ?
दोस्तों प्रत्येक वर्ष जगन्नाथ रथ यात्रा में लाखों भक्त दर्शन हेतु आते हैं। इस यात्रा में भाग लेने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं भगवान विष्णु के आशीर्वाद से पूर्ण होता हैं। इस यात्रा के निकाले जाने के पीछे भी एक कथा हैं। दरसल जब शुभद्रा अपने भाइयों संग भ्रमण करते हुए गुंडिचा मौसी के घर तक पहुंची तब वह काफी थक चुकी थी। इसी कारण 7 दिन तक तीनों भाई बहन वहां रुके थे। नीचे जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए और जगन्नाथ पुरी का रहस्य क्या हैं इसकी सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की गयी हैं।
जगन्नाथ पुरी का रहस्य
दोस्तों, जगन्नाथ पुरी में विदेशी सैलानी भी हर साल बड़ी संख्या में आते है। इस मन्दिर से जुड़ी अनेक रहस्यों से आज मैं पर्दा उठाने वाला हूँ। बहुत कम लोग ही जानते हैं की जगन्नाथ पुरी मन्दिर भगवान श्री कृष्ण के धड़कते हृदय के लिए जाना जाता हैं। दरसल मान्यता हैं की कृष्ण जी ने जब प्राण का त्याग किया था तब उनका दिल धड़क रहा था जो की मन्दिर में विराजमान मूर्ति के अंदर अभी भी स्थित हैं। इस मन्दिर का निर्माण भगवान विष्णु और विश्वकर्मा जी के सहायता से हुआ था। मदिर में बनी मूर्तियाँ लकड़ी की बनायी गयी थी।
इस मन्दिर में रखी मूर्तियों को राजा इंद्रद्युम्न ने बनवाया था। इंद्रद्युम्न राजा भरत के पुत्र थे। मूर्तियों को एक लकड़ी पर उकेड कर बनाया गया था। नारद जी कहने पर इंद्रद्युम्न ने मूर्तियों को बनाने का कार्य विश्वकर्मा जी को सौंपा था। कहा जाता हैं की विश्वकर्मा जी के साथ स्वयं नारायण जी ने भी मूर्तियों को बनाने में सहयोग किया था।
जगन्नाथ पुरी में रखी मूर्तियों में हाथ नहीं हैं इसके पीछे भी एक कथा हैं। दरसल बढई के रूप मायापति श्री हरी विष्णु ने मूर्तियों को बनाने से पहले एक शर्त रखी थी। शर्त के अनुसार, काम पूरा होने से पहले कक्ष में किसी को प्रवेश नहीं करना था। लेकिन जब कक्ष से कुछ दिनों तक कोई आवाज नहीं आयी तो राजा ने कक्ष में झांककर देखा। तब तक मूर्ति लगभग पूरी हो चुकी थी लेकिन उसके हाथ नहीं बने थे। विष्णु जी यह कहते हुए वहा से विलुप्त हो गए की अब ये मूर्ति इसी तरह यहां स्थापित की जाएं।
यह भी पढ़ें रसोई घर में मंदिर बनाना चाहिए या नहीं – जल्दी पढ़ें
जगन्नाथ पुरी मंदिर के कुछ ऐसे रहस्य जो सबको हैरान करते हैं
मंदिर की बनावट कुछ ऐसी हैं की कहते हैं की इसके ऊपर से हवाई जहाज नहीं जा सकता हैं। दरसल मन्दिर के ऊपर एक चक्र हैं। मान्यता के अनुसार चक्र उड़ान भर रहे जहाजों को प्रभावित कर सकते हैं। इसी कारण इस मन्दिर के ऊपर कोई जहाज नहीं जाता हैं। इतना ही नहीं इसके मन्दिर में गरूर राज विराजमान हैं जिसकी वजह से कोई अन्य पक्षी मन्दिर के ऊपर नहीं दिखाई देते हैं।
मान्यताओं के अनुसार, हरी के अवतार श्री कृष्ण का दिल जीवित था जिसे मूर्ति में जगह दी गयी थी। धरती का बैकुंठ जगन्नाथ पुरी से कृष्ण जी का विशेष नाता हैं। शरीर को त्यागने के पश्चात भी वे यहां के मूर्तियों में साक्षात विराजमान माने जाते हैं। जगन्नाथ मंदिर से शुरू हुई यात्रा गुंडीचा मंदिर जाती हैं। गुंडीचा कृष्ण जी की मौसी हैं। मौसी के घर पर कृष्ण, शेषनाग के अवतार दाऊ और सुभद्रा ने अपना खास समय व्यतीत किया था।
यह भी पढ़ें फूल धोकर चढ़ाना चाहिए या नहीं – भगवान पर फुल चढाने के नियम
जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए
मई की गर्मियों में यहां जाना सबसे मुश्किल समय माना जाता हैं। दरसल मई में यहां बेहद भीषण लू के थपेड़े चलते हैं। ऐसे में बच्चे और बूढ़े व्यक्तियों के लिए इस माह वहां जाना सेफ नहीं हैं। यहां जाने के लिए सबसे अच्छा समय सर्दी और मॉनसून का मौसम हैं। मॉनसून में गर्मी तीव्र नहीं होती हैं। हल्की बारिश में यहां जाने का आनंद की कुछ अलग हैं। ऐसा लगता हैं की आप प्रकृति के सभी मौसमों का आनंद एक साथ ले रहे हैं। सर्दी में यहां का तापमान 9 डिग्री तक गिर जाता हैं। वही गर्मी में 45 डिग्री तक चला जाता हैं।
अगर आप रथ यात्रा के लिए वहां जाना चाहते हैं तो सबसे सही समय जून का महिना हैं। दरसल इसी महीने रथ यात्रा निकलती हैं जिसमें अलग-अलग रथों पर तीनों भाई बहने विराजमान होते हैं। अत: आप अपने अनुसार वहां जाने के समय का चयन कर सकते हैं। रथ यात्रा के लिए आपको जून में ही जाना पड़ेगा। अगर आप भ्रमण और दर्शन के द्रष्टिकोण से जाना चाहते हैं तो दिसम्बर या जनवरी का महिना सबसे अच्छा रहेगा।
यह भी पढ़ें
- कामाख्या मंदिर कब जाना चाहिए – कामाख्या देवी मंदिर पूजा विधि
- बेलपत्र के पेड़ के नीचे दीपक कब लगाना चाहिए – बेलपत्र के चमत्कारी उपाय
- पूजा पाठ करने वाला दुखी क्यों रहता है – पापी लोग और कुछ न करने वाला सुखी क्यों है जाने
- स्वास्तिक किस दिन बनाना चाहिए – स्वास्तिक चिन्ह का अर्थ जाने
- सपने में हनुमान जी का नाम लेना और उन्हें उड़ते हुए देखना देता हैं आश्चर्यजनक संकेत
- सपने में देवी मां की मूर्ति देखना / सपने में देवी मां की पूजा करना
निष्कर्ष – जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए
जगन्नाथ पुरी मंदिर कैसे बना और इस मन्दिर में कौन-कौन से भगवान विराजमान हैं इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस विस्तार से मैंने आपको दी हैं। मंदिर दर्शन हेतु ठंड के मौसम में जाना ही सबसे अच्छा माना जाता हैं। जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए और जगन्नाथ पुरी का रहस्य क्या हैं यह तो आप जान ही चुके हैं। अगर आप जगन्नाथ पुरी मंदिर सर्दी या बरसात के मौसम का चयन करते हैं तो आपको ठंड और बरसात के कपड़े लेकर जरुर जाने चाहिए।
मुझे उम्मीद हैं की आपको आज की यह पोस्ट ” जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए – जगन्नाथ पुरी का रहस्य जाने ” बेहद अच्छी और रोचक लगी होगी। इस जानकारी को सोशल मीडिया पर जरुर से जरुर शेयर करें।
यह भी पढ़ें सपने में मंदिर से प्रसाद मिलना और सपने में पुजारी से प्रसाद लेना कैसा होता हैं जाने
1 thought on “जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए – जगन्नाथ पुरी का रहस्य जाने”