कार्तिकेय की पूजा क्यों नहीं होती – कारण बेहद हैरान करने वाला हैं – उत्तर भारत में कार्तिकेय की पूजा न के बराबर होती हैं। ऐसे में लोगों के मन में अक्सर यह सवाल उठता हैं की कार्तिकेय की पूजा क्यों नहीं होती इसके पीछे की वजह क्या हैं। आज की इस पोस्ट में मैं आपके इस सवाल का उत्तर देने वाली हूँ साथ ही आपको कार्तिकेय भगवान के बारें में अन्य कई महत्वपूर्ण जानकारियां देने जा रही हूँ। कार्तिकेय भगवान माँ पार्वती और देवो के देव महादेव के पुत्र हैं। इन्हें देवताओं का सेनापति नियुक्त किया गया था। कार्तिकेय जी का पालन पोषण कृतिका नाम की स्त्री ने किया था जिसके कारण उनका नाम कार्तिकेय पड़ा। कार्तिकेय की पत्नी का नाम देवसेना हैं जिन्हें छठ पूजा के दौरान बिहार समेत पुरे भारत में पूजा जाता हैं। छठी माता का ही नाम देवसेना हैं। देवसेना देवताओं के राजा इंद्र की बेटी हैं।
कार्तिकेय जी की पूजा ज्यादात्तर दक्षिण भारत में होती हैं। दक्षिण भारत में मुरुगन भगवान के नाम से इनकी पूजा होती हैं। इनके अन्य कई नाम हैं महासेन, स्कन्द, अग्निभू आदि। उत्तर भारत में इनकी पूजा बहुत कम होती हैं। यही कारण हैं की लोग यह जानने को उत्सुक रहते हैं की आख़िरकार उत्तर भारत में कार्तिकेय की पूजा क्यों नहीं होती ?
कार्तिकेय की पूजा क्यों नहीं होती
कार्तिकेय की पूजा भारत के लगभग हर राज्य में होती हैं। कार्तिकेय जी का मन्दिर बहुत कम हैं। इसी कारण लोगों को लगता हैं की इनकी पूजा नहीं होती हैं। कार्तिकेय जी के जन्म के बाद तारकासुर का अंत हुआ था। जिसके बाद वे माता पार्वती के आज्ञा के कारण दक्षिण भारत में रह गए। देवताओ का सेनापति नियुक्त होने के बाद उन्होंने देवताओं की तरफ से अनेक युद्ध में विजय प्राप्त किया। कार्तिकेय जी का मन्दिर दक्षिण भारत में अधिक हैं। ऐसा नहीं हैं की उत्तर भारत में इनकी पूजा नहीं की जाती हैं। दुर्गा पूजा में गणेश, सरस्वती, लक्ष्मी आदि देवी देवताओं के अलावे कार्तिकेय जी की भी मूर्ति बनाकर पूजा की जाती हैं।
इसके अलावे उत्तर भारत ही नहीं बल्कि पुरे भारत में यज्ञ और स्कंद षष्ठी व्रत के दौरान कार्तिकेय की पूजा होती हैं। अत अगर आपके मन में यह सवाल हैं की कार्तिकेय की पूजा क्यों नहीं होती तो आप गलत सोच रहे हैं।
शास्त्र में कार्तिकेय जी के एक श्राप का भी वर्णन मिलता हैं। दरसल यह श्राप कार्तिकेय जी ने सिर्फ स्त्रियों को दिया था। यह बात तब की हैं जब गणेश जी और कार्तिकेय जी परीक्षा माता पार्वती और शिव जी ने ली थी। पृथ्वी की परिक्रमा करने की परीक्षा में हार के बाद कार्तिकेय जी ने गुस्से में अपनी चमरी उतार दी थी और श्राप देते हुए कहा था की अगर कोई महिला उनकी इस रूप की पूजा करेगी तो वह ७ जन्मों तक पति के अकाल मृत्यु को देखेगी।
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कार्तिकेय भगवान का मंदिर कहां पर है
कार्तिकेय भगवान का मंदिर कम ही स्थानों पर देखने को मिलती हैं। दक्षिण भारत में बहुतायत में मुरुगन भगवान के मन्दिर देखने को मिलते हैं। कार्तिक स्वामी मंदिर (रुद्रप्रयाग), थिरुपरनकुंड्रम मुरुगन, मुरुगन मन्दिर ( पलनी, तमिलनाडु), स्वामीमलाई मुरुगन मंदिर (कुंभकोणम) आदि भगवान कार्तिकेय के कुछ प्रसिद्ध मन्दिर हैं।
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कार्तिकेय के कितने सिर थे
कार्तिकेय के कितने सिर थे इसके बारें में शास्त्रों में बताया गया हैं। षष्ठी तिथि के दिन शिव जी द्वारा प्रकट होने के कारण वे 6 सर वाले थे।
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निष्कर्ष
इस पोस्ट में मैंने आपके प्रश्न कार्तिकेय की पूजा क्यों नहीं होती इसके बारें में उचित और सही जानकारी दी हैं। कार्तिकेय जी ने ज्यादात्तर सम्स्य दक्षिण भारत में बिताया था। यही वजह हैं की दक्षिण भारत के लोग इन्हें अधिक पूजते हैं। हालाँकि इनकी पूजा सभी जगहों पर होती हैं। कार्तिकेय की पूजा क्यों नहीं होती इस सवाल का कोई मतलब ही नहीं बनता हैं। यह सच हैं की कार्तिकेय जी के मन्दिर बेहद कम जगहों पर ही हैं। दुर्गा पूजा के दौरान सम्पूर्ण भारत में बड़े धूम धाम से इनकी पूजा की जाती हैं।
मुझे आशा हैं की कार्तिकेय की पूजा क्यों नहीं होती इसका सही जवाब आपको मिल गया होगा। यह पोस्ट कार्तिकेय जी के पूजा के संबंध में उठ रहे आपके मन के संशय को दूर कर देगा। इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर शेयर करें ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी सभी को मिल सकें। सुंदरता ब्लॉग पर आपको धर्म और कर्म से जुड़ी ऐसी महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती रहती हैं। अत: हमारे ब्लॉग Sundarta को फॉलो जरुर करें।
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