स्वास्तिक किस दिन बनाना चाहिए – स्वास्तिक चिन्ह का अर्थ – सनातन धर्म में स्वस्तिक का विशेष महत्त्व हैं। इस चिन्ह का संबंध भगवान विष्णु, ब्रह्मा, लक्ष्मी -गणेश और सूर्य से हैं। पूजा कार्यों में इस चिन्ह को बनाना शुभ माना जाता हैं। स्वास्तिक चिन्ह के बारें में वेद और कई धर्म ग्रंथों में वर्णन मिलता हैं। कुंडली निर्माण और अन्य किसी भी शुभ कार्यों के लिए सर्वप्रथम इस चिन्ह को बनाया जाता हैं। लक्ष्मी-गणेश की जी की पूजा में विशेष तौर पर इसे बनाने की परम्परा हैं।
यह सुख समृद्धि, धन और शुभता को आकर्षित करने वाला चिन्ह माना जाता हैं। ऋग्वेद में यह सूर्य, अन्य ग्रंथों में ब्रह्मा जी की चार मुख और नारायण के नाभि कमल का प्रतिक हैं। किसी भी शुभ अवसर पर पूजा के दौरान इसे अवश्य बनाया जाता हैं। इस चिन्ह को लोग घर के बाहर और अंदर दीवारो पर भी बनवाते हैं। स्वास्तिक किस दिन बनाना चाहिए इसकी सम्पूर्ण जानकारी विस्तार से समझें।
दोस्तों, स्वास्तिक चिन्ह को रोज देखना अति शुभ माना जाता हैं। इसलिए कुछ लोग इसे हर दिन पूजा के समय जरुर बनाते हैं। परन्तु इस चिन्ह को बनाने के कुछ नियम हैं जिसकी जानकारी का होना आपके लिए आवश्यक हैं। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया हैं की इस चिन्ह को खास दिशा में ही बनाना चाहिए। आइये विस्तार से जानते हैं की स्वास्तिक किस दिन और किस दिशा में बनाना चाहिए ?
स्वास्तिक चिन्ह का अर्थ
स्वस्तिक सु + अस्ति+क से बना हैं। सु का मतलब हैं “शुभ या मंगल” हैं। “अस्ति और का “का मतलब हैं ” अस्तित्व और कर्ता ” होता हैं। इस तरह स्वास्तिक का अर्थ मंगलकारी, शुभ करने वाला और कल्याणकारी हैं। यह चिन्ह चार वर्ण को भी दर्शाता हैं। पुरे विश्व का मंगल हो और सभी जीवों का कल्याण हो यही इस चिन्ह को बनाने का मुख्य उद्देश्य हैं। इस शब्द के अन्य कई अर्थ होते हैं जैसे – आशीर्वाद, मंगल करने वाला, शुभ हो, पूण्य करने वाला, सुख समृद्धि के द्वार खोलने वाला आदि। घर के मुख्य द्वार के आसपास इस चिन्ह को बनाने से घर नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रहता हैं।
स्वस्तिक व्यक्ति को वास्तुदोष, गरीबी, शारीरिक कष्ट और नकारात्मक शक्तियों से बचाता हैं। इस चिन्ह को बनाने से गरीबी दूर होती हैं। व्यक्ति के अंदर सकारात्मक उर्जा का संचार होता हैं। पूजा कार्य में कोई विघ्न उत्पन्न नहीं होता हैं। पितरों से आशीर्वाद मिलता हैं। अत: स्वास्तिक जरुर बनाना चाहिए। आइये जानते हैं की स्वास्तिक किस दिन बनाना चाहिए और किस चीज से बनाना चाहिए।
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स्वास्तिक किस दिन बनाना चाहिए
दोस्तों, स्वास्तिक चिन्ह को आप किसी भी दिन बना सकते हैं। इसे बनाने के लिए शास्त्रों में किसी खास दिन का वर्णन नहीं हैं। इस चिन्ह को पूजा के दिन बनाना ज्यादा शुभ माना जाता हैं। आप स्वस्तिक को कई रंगों से निर्मित कर सकते हैं। इसे घर के मंदिर, द्वार, दीवारों आदि पर शुभ लाभ लिखकर बनाया जाता हैं। इस चिन्ह को घर के आंगन में भी बना सकते हैं। दिशाओं की बात करें तो उत्तर दिशा और उत्तर पूर्व में सबसे शुभ माना जाता हैं। स्वास्तिक को घर के अंदर से दाई तरफ दरवाजे के पास बनाना सबसे अच्छा माना जाता हैं।
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स्वास्तिक किस चीज से बनाएं
अगर व्यापर में किसी तरह की समस्या हैं तो पीले रंग की स्वस्तिक बनायी जाती हैं। इसके लिए आप हल्दी का इस्तेमाल कर सकते हैं। लाल रंग के स्वस्तिक सबसे शुभ और मंगलकारी माना जाता हैं। पूजा कार्यों के लिए बनायें गए स्वस्तिक का कलर लाल या पीला ही होना चाहिए। लाल और पीले स्वस्तिक शारीरिक और मानसिक कष्ट को दूर करने वाला माना जाता हैं। स्वस्तिक को सिंदूर, कुमकुम, रोली आदि से बना सकते हैं। अगर आपको ऐसा महसूस होता हैं की नकारात्मकता आपके घर में प्रवेश कर चुकी हैं तो काले रंग का स्वस्तिक बनाएं। हर रंग के स्वस्तिक का विशेष महत्त्व हैं।
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निष्कर्ष – स्वास्तिक किस दिन बनाना चाहिए
स्वास्तिक किस दिन बनाना चाहिए और स्वास्तिक चिन्ह का अर्थ क्या होता हैं इससे जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी इस पोस्ट के द्वारा बतायी गयी हैं। स्वस्तिक बनाकर लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करने से धन के आगमन का मार्ग खुलता हैं। रोज घर के बाहर दरवाजे पर दाहिनी ओर इस चिन्ह को बनाते रहने से बुरी नजरों से घर को सुरक्षा मिलती हैं। वास्तु दोषों के निवारण के साथ-साथ घर में सकारात्मकता आती हैं। घर में हो रहे लड़ाई झगड़े पर तुरंत विराम लगता हैं। स्वस्तिक को बनाकर ईश्वर की पूजा अर्चना करना आपके विचारों को शुद्ध करता हैं।
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