सूर्य को जल किस दिन नहीं चढ़ाना चाहिए और जल चढाने के क्या फायदे हैं ऐसे कई सवाल हैं जिसे लेकर लोग अक्सर असमंजस की स्थिति में रहते हैं। हिन्दू धर्म में भगवान सूर्य को जल चढ़ाना बहुत ही शुभ माना जाता हैं। भगवान सूर्य ऋषि कश्यप के पुत्र हैं। इनकी माता का नाम अदिति हैं तथा सूर्य इंद्र के भाई हैं। आइयें जानते हैं की सूर्य को जल चढ़ाने का सही तरीका क्या हैं और सूर्य को जल किस दिन नहीं चढ़ाना चाहिए। लेकिन इससे पहले भगवान सूर्य के बारें में जान लेते हैं।
भगवान सूर्य कौन हैं?
जैसा की मैंने बताया की इनके माता पिता का नाम अदिति और कश्यप हैं। कश्यप के पिता का नाम मरीचि था जो की त्रिदेवों में से एक भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र थे। भगवान सूर्य को विवस्वान् नाम से भी जाना जाता हैं। आपको बता दे की ऋषि कश्यप की दो पत्नियाँ थी एक दिति और दूसरी अदिति। अदिति से जो संताने हुई उन्हें देव कहा जाता हैं और दिति की संतानों को दैत्य। दिति और अदिति प्रजापति दक्ष की पुत्रियाँ थी। वेदों में भगवान सूर्य का वर्णन हैं उन्हें सम्पूर्ण की जगत की आत्मा भी कहा जाता हैं।
यजुर्वेद में सूर्य को जगत की आँख या नेत्र कहकर संबोधित किया गया हैं। इनकी पूजा से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती हैं। और यही कारण बिहार उत्तरप्रदेश आदि जगहों पे छठ पूजा की जाती हैं। छठ पूजा से संतान को लम्बी उम्र भी मिलती हैं साथ ही मान सम्मान भी बढ़ता हैं। आइये जानते हैं की सूर्य को जल देने के फायदे क्या हैं।
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सूर्य को जल देने के फायदे
दोस्तों भगवान सूर्य को जल देने से के अनेकों फायदे हैं। अगर आपने रामायण देखा या पढ़ा होगा तो आपको पता ही होगा की भगवन राम भी प्रतिदिन सूर्य नारायण को चल चढाते थे। उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाना बहुत फलदायी माना जाता हैं। कहा जाता हैं की इस समय कोई सूर्य को सच्चे मन जल अर्पित करता हैं तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। तो आइये जानते हैं की सूर्य को जल देने के फायदे क्या हैं।
- कहा जाता हैं की जो लोग प्रतिदिन नहाते वक़्त या नहाने के बाद सूर्य को जल चढाते हैं उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती हैं।
- अगर आपके विवाह में कोई समस्या उत्पन्न हो रही हैं तो रोज सुबह उठकर स्नान के पश्चात् सूर्य देव को जल चढाने से विवाह में उत्पन्न हो रही समस्याएं खत्म हो जाती हैं।
- इसके अलावे अगर आप अपनी जिंदगी में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं तो जल्द चढाने से समस्या दूर होती हैं और भाग्य का उदय होता हैं।
- भगवान सूर्य को छठ पर्व के दौरान जल चढाने से संतान प्राप्ति होती हैं।
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सूर्य को जल चढ़ाने का सही तरीका
दोस्तों भगवन सूर्य पर जल चढाते वक्त नियम और समय का खास ध्यान रखना आवश्यक हैं। अगर आप भगवान सूर्य पर जल चढाने के वक्त कुछ खास बातों का ख्याल रखेंगे तो निश्चित ही आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी। ध्यान रहे की सूर्य देव को नहाने के बाद ही जल चढ़ाएं। आप पूर्व दिशा की ओर मुख करें और भगवान सूर्य को स्मरण करते हुए लोटे के जरिये जल चढ़ाएं।
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सूर्य को जल देने वाले लोटे में क्या डालें
जल अर्पित करने से पहले लोटे में अक्षत, और कनेर या चंपा के फुल के साथ रोली डालें। उसके बाद जल को सूर्य नारायण को अर्पित करें। अगर कनेर और चम्पा के फुल नहीं हैं तो आप सूर्यमुखी, पलाश आदि फूलों का भी उपयोग कर सकते हैं।
सूर्य को जल चढ़ाने का मंत्र – सूर्य को जल चढ़ाने का समय
सूर्य देव को जल अर्पित करते वक़्त मन्त्र का बोलना बेहद आवश्यक माना जाता हैं। इन मन्त्रों से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं आप जल चढाते वक्त ऊं आदित्य नम: मंत्र या ऊं घृणि सूर्याय नमः का जाप अवश्य करें। इस मंत्र के जाप करने के बाद जल को सुबह सुबह पूरब दिशा में अर्पित करें।
भगवान सूर्य को जल किस दिन नहीं चढ़ाना चाहिए
कई लोग इस भ्रम में रहते हैं की शनिवार के दिन सूर्य देव को जल नहीं चढ़ाना चाहिए। दरसल शनि देव भगवान सूर्य के दुश्मन माने जाते हैं। हालाँकि शनि देव सूर्य देव के पुत्र हैं। आपको बता दे की पुराणों में कही भी यह वर्णन नहीं हैं की शनिवार को सूर्य पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए। इसलिए आप शनिवार के दिन भी भी सूर्य पर जल चढ़ा सकते हैं। कुल मिलाकर कहे तो व्यक्ति को प्रतिदिन भगवन सूर्य पर जल चढ़ाना चाहिए।
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सूर्य को जल देने का वैज्ञानिक महत्व
अगर सूर्य देव को जल अर्पित करने की क्रिया को वैज्ञानिक तरीके से देखें तो यह बेहद फायदेमंद माना जाता हैं। दरसल जब लोटे से पानी नीचे गिरता हैं तो सूर्य की किरण पानी से निकलकर किसी प्रिज्म की भांति 7 रंगों में बंट कर शरीर तक पहुँचती हैं। इससे अनेक तरह के लाभ होते हैं जैसे आँखों की रौशनी का बढ़ना, विटामिन डी मिलना आदि इस तरह हमारी इम्युनिटी भी बूस्ट होती हैं और त्वचा सम्बन्धी रोग भी कम होते हैं। लेकिन ध्यान रहे की यह सुबह सुबह किया जाएँ तो ज्यादा फायदेमंद हैं।
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निष्कर्ष
दोस्तों सूर्य देव को सूर्य नारायण भी कहा जाता हैं इनकी उपासना से कई तरह के शारीरिक विकार और घरेलु परशानियाँ दूर होती हैं। सूर्य नारायण को सुबह सुबह जल अर्पित करने से संतान की प्राप्ति और समाज में सम्मान मिलता हैं। पुराणों के अनुसार सूर्य की उपासना भगवान विष्णु की उपासना के समान माना जाता हैं। सूर्य देव पर जल अर्पित करने के कुछ नियम हैं जिसका पालन करना आवश्यक हैं। इस पोस्ट में मैंने आपको बताया हैं की सूर्य को जल चढ़ाने का सही तरीका क्या हैं और सूर्य को जल किस दिन नहीं चढ़ाना चाहिए। इसके अलावे सूर्य को जल देने का वैज्ञानिक महत्व के बारें में भी विस्तार से बताया गया हैं।
दोस्तों इस पोस्ट में आपने जाना की सूर्य को जल किस दिन नहीं चढ़ाना चाहिए, सूर्य को जल देने का वैज्ञानिक महत्व क्या हैं और इसके फायदे क्या हैं। इस पोस्ट में दी गयी जानकारी पुराणों के अनुसार दी गयी हैं। अगर यह जानकारी आपको पसंद आई हो तो इस पोस्ट को शेयर करना बिल्कुल न भूलें।
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