प्रेगनेंसी में पेट में धक् धक् होना – 2 महीने की प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना – एक महिला जब प्रेग्नेंट होती हैं तो उसके मन में हजारों सवाल चलते रहते हैं। प्रेगनेंसी में महिला को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं। एक महिला 9 महीने तक बच्चे को गर्भ में रखती हैं जिस दौरान महिला न तो ठीक से सो पाती हैं और न ही किसी भारी काम को कर पाती हैं। कुल मिलाकर कहें तो एक प्रेग्नेंट लेडी कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्यायों का सामना करती हैं। प्रेगनेंसी के दौरान भ्रूण में पल रहे बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए महिला हर संभव जतन करती हैं। बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए प्रेग्नेंट लेडी के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना बेहद जरुरी हैं क्योकिं अगर महिला स्वस्थ रहेगी तो निश्चित तौर पर बच्चा भी स्वस्थ रहेगा। एक प्रेग्नेंट महिला के मन में कई सवाल चलते रहते हैं जैसे :- प्रेगनेंसी में पेट में धक् धक् होना क्या हैं , प्रेगनेंसी में पेट के निचले हिस्से में दर्द क्यों होता है , प्रेगनेंसी में रंग काला होना क्यों होता हैं , प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए जिससे बच्चा गोरा हो ?।
दोस्तों, प्रेगनेंसी छोटी से छोटी समस्या को भी नजरंदाज नहीं करना चाहिए। कई बार प्रेगनेंसी में पेट में धक् धक् होना और प्रेगनेंसी में रंग काला होना जैसी समस्याएं होती हैं। ऐसे में महिलाएं घबरा जाती हैं। प्रेगनेंसी में महिला को अपने खान-पान, सोने के तरीके और लाइफस्टाइल को बदलने की आवश्यकता होती हैं। महिलाओं को अन्य कई तरह की समस्यायों का सामना करना पड़ता हैं तो आइयें जानते हैं उन सवालों के उत्तर जो अक्सर हर महिला के मन में चलता रहता हैं।
प्रेगनेंसी में पेट में धक् धक् होना
दोस्तों प्रेगनेंसी में पेट में धक् धक् होना बेहद सामान्य हैं। दरसल प्रेगनेंसी में जैसे-जैसे बच्चे के आकार में परिवर्तन आता हैं वैसे ही गर्भाशय भी फैलता हैं। जब शिशु का आकार काफी बड़ा हो जाता हैं तो इस स्थिति में गर्भाशय में बच्चे को करवट लेने की जगह नहीं होता हैं। गर्भाशय के आकार बढ़ने के कारण आधिक मात्रा में रक्त की आवश्यकता होने लगती हैं जिस कारण हृदय को ज्यादा रक्त पंप करना पड़ता हैं। आकार बढ़ने के कारण बच्चा थोड़ा भी हिलता हैं तो माँ को छोटी-से छोटी हलचल भी महूसस होने लगती हैं। महिला को प्रेगनेंसी में पेट में धक् धक् होना इसी वजह से कभी-कभी फील होता हैं।
इसके अलावे इसके प्रेगनेंसी में पेट में धक् धक् होना अन्य कारणों से भी होता हैं। दरसल जब पेट में बच्चा हिचकी लेता हैं या बच्चे का सर नीचे की तरफ जाने लगता हैं तो धक् धक् जैसा महसूस हो सकता हैं। कई महिलाएं बच्चे की धड़कन को भी महूसस करती हैं। आपको बता दे की यह कोई समस्या नहीं हैं यह बेहद नार्मल हैं।
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प्रेगनेंसी में पेट के निचले हिस्से में दर्द क्यों होता है
प्रेगनेंसी में महिला के शरीर में अनेकों बदलाव देखने को मिलता हैं। दरसल शरीर में हो रहे बदलाव के मुख्य कारण होरमोंस होते हैं। प्रेगनेंसी में पेट के निचले हिस्से में दर्द के कई कारण हो सकते हैं। ज्यादात्तर मामलों में पेट के नीचे दर्द होना सामान्य कारणों से ही होते हैं लेकिन कभी-कभी यह बड़ी समस्या की वजह से भी होती हैं। डॉक्टर्स के अनुसार यह दर्द गर्भ में पल रहे शिशु के वजन बढ़ने से होता हैं। दरसल जब शिशु का वजन बढ़ने लगता हैं तो पैल्विस और नसों पर प्रेशर बढ़ता हैं जिसके कारण प्रेग्नेंट महिला को पेट के निचले हिस्से में दर्द का अनुभव होता हैं। इसके अलावा यह समस्या यूरिनरी ट्रैक्ट में इन्फेक्शन, कब्ज, ज्यादा व्यायाम करने से, सीढियों पर ज्यादा उतरने चढ़ने से, अंडाशय में गांठ आदि कारणों से भी हो सकता हैं।
इस स्थिति में दर्द से राहत के लिए आराम की बहुत जरूरत होती हैं। इसके अलावे कब्ज से राहत के लिए हरी पत्तेदार शब्जियाँ और फाइबर से भरपूर भोजन करने की सलाह दी जाती हैं। भोजन में सलाद और हर्बल टी को जरुर शामिल करें। यह सब दर्द से राहत दिलाने में मदद करती हैं।
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प्रेगनेंसी में कैसे बैठना चाहिए
प्रेगनेंसी में उठने-बैठने के तरीकों में बदलाव की जरूरत होती हैं। अक्सर देखा जाता हैं की प्रेगनेंसी में महिला के पैर हाथ और शरीर में सुजन की समस्या हो जाती हैं। ऐसे में महिलाओं को उठने बैठने और सोने की आदत में सुधार की आवश्यकता होती हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार प्रेगनेंसी के दौरान एक जगह पर लम्बे समय तक कभी नहीं बैठना चाहिए। इसके अलावे बैठने के कुर्सी का इस्तेमाल जरुर करें। अगर आप पलंग पर बैठ रही हैं तो पीछे सपोर्ट के लिए तकिये का इस्तेमाल करें। कोशिश करें की बैठने के दौरान पेट सीधा रहें। प्रेगनेंसी में बैठकर झुकना आपके बच्चे और आपके लिए उचित नहीं हैं। इससे आपके पेट में दर्द की समस्या उत्पन्न हो सकती हैं। महिला को किसी ऐसी चीज पर ही बैठना चाहिए जिसपर उसे पीठ को सपोर्ट मिल सकें।
1 महीने की प्रेगनेंसी में क्या nahi खाना चाहिए
एक्सपर्ट्स प्रेगनेंसी में कुछ चीजों के सेवन न करने की सलाह देते हैं। प्रेगनेंसी में जल्दी और आसानी से पचने वाली चीजों का ही सेवन करना चाहिए। पेट में कब्ज होने पर प्रेग्नेंट महिला को पेट में दर्द जैसी समस्या का सामना करना पड़ता हैं। अधिक मात्रा में जंक फ़ूड और बाहरी चीजों के सेवन से बचना चाहिए। 1 महीने की प्रेगनेंसी में निम्नलिखित चीजें nahi खाना चाहिए : –
- कच्चा अंडा
- आधे पके मीट और मछली – ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन बैक्टीरियल इन्फेक्शन हो सकते हैं। अधिक वसा के कारण भी इसके सेवन कम करने की सलाह दी जाती हैं। इसके अलावे ऐसे भोजन को पचने में काफी समय लगता हैं और कभी-कभी कब्ज की समस्या भी हो जाती हैं।
- ज्यादा वसा युक्त दूध
- शराब – शराब गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास को रोकता हैं।
- जंक फ़ूड – जंक फ़ूड में अत्याधिक संतृप्त वसा होती हैं इसके अलावे इसके सेवन कब्ज और गैस की समस्या भी हो सकती हैं।
- अनानास, कच्चा पपीता – लैटेक्स की मौजूदगी के कारण प्रेग्नेंट महिला के लिए इसका सेवन सेफ नहीं माना जाता हैं।
- कैफीन के सेवन भी कम कर देना चाहिए। कई शोधों से मिली जानकारी के अनुसार ज्यादा कैफीन गर्भपात जैसी समस्या उत्पन्न कर सकती हैं।
- इन सबके अलावे ज्यादा चीनी और नमक के सेवन से भी बचना चाहिए।
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प्रेगनेंसी में रंग काला होना
गर्भावस्था के दौरान अधिकत्तर महिलाओं की स्किन डार्क पड़ जाती हैं। यह बेहद सामान्य हैं इस स्थिति में चिंतित होने की आवश्यकता नहीं हैं। प्रेगनेंसी में रंग काला होना मेलेनिन के कारण होता हैं। दरसल प्रेगनेंसी में हमारे शरीर के अंदर कई तरह के हार्मोनल बदलाव देखने को मिलते हैं। होरमोंस में बदलाव की वजह से मेलेनिन पिगमेंट का निर्माण अधिक हो जाता हैं जो की स्किन के कलर को हल्का कर देता हैं। कई बार इसके अधिक निर्माण की वजह से चेहरे पर काले दाग-धब्बे दिखाई देने लगते हैं।
इस समस्या को दूर करने के लिए प्रेग्नेंट महिला को हल्दी, गुलाब जल और निम्बू के मिश्रण को चेहरे पर लगाना चाहिए। हल्दी में मौजूद मेलेनिन एक करक्यूमिन और निम्बू में मौजूद विटामिन सी चेहरे को साफ़ कर काले दाग धब्बे को दूर करने में सहायता करता हैं।
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2 महीने की प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना
दोस्तों 2 महीने की प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना सामान्य बात नहीं हैं। यह मुख्यत: इन्फेक्शन, गर्भपात, placenta के क्षतिग्रस्त होने से आदि कारणों से होता हैं। हालाँकि कुछ मामलों में यह सामान्य कारणों से भी हो सकता हैं जैसे की हार्मोनल चेंजेज जो की पीरियड को रोकने से जुड़े होते हैं। इस स्थिति में जल्द से जल्द डॉक्टर से उचित सलाह लेनी चाहिए। ज्यादा देर करना खतरनाक भी हो सकता हैं। डॉक्टर ब्लीडिंग के कारणों का पता कर इसका इलाज शुरू कर सकते हैं। प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग की स्थिति में दवाओं के सेवन से स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता हैं।
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प्रेगनेंसी में सुबह कितने बजे उठना चाहिए
प्रेग्नेंट महिला को सामान्य महिला की तुलना में ज्यादा आराम की जरूरत होती हैं। ज्यादा देर तक काम करने या ज्यादा चलने से महिला को पुरे शरीर में दर्द और सुजन की समस्या हो सकती हैं। इसलिए एक्सपर्ट्स प्रेगनेंसी में महिला को सामान्य से ज्यादा आराम करने की सलाह देते हैं। हालाँकि एक स्वस्थ शरीर और मन के लिए सुबह उठना भी बेहद जरुरी हैं। प्रेगनेंसी में सुबह उठकर योग करने और हल्की एक्सरसाइज करने से आपका शरीर फिट और मन शांत रहता हैं। रोज सुबह 6 बजे तक प्रेग्नेंट महिला को जरुर उठ जाना चाहिए और योग करना चाहिए। यह बच्चे और महिला दोनों के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरुरी हैं। रात को 10 बजे तक बेड पर जरुर जाएँ। स्वस्थ रहने के लिए एक प्रेग्नेंट महिला को कम से कम 8 घंटें की नींद बेहद जरुरी हैं।
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प्रेगनेंसी में पेट का कम निकलना
प्रेगनेंसी में पेट का निकलना 11 या 12वे सप्ताह के बाद ही शुरू होता हैं। लेकिन 12वे सप्ताह में भी पेट थोड़ा ही निकलता हैं जिसे देखकर बता पाना मुश्किल हैं की महिला प्रेग्नेंट हैं या नहीं। 16वे सप्ताह में पेट ज्यादा निकला हुआ दिखाई दे सकता हैं। लेकिन कई बार प्रेगनेंसी में पेट का कम निकलना कम होता हैं या कम दिखाई देता हैं। दरसल यह कोई समस्या नहीं हैं यह महिला की लम्बाई और शिशु के गर्भाशय में स्थिति पे डिपेंड करता हैं। ज्यादा लम्बी महिला का पेट कम निकला हुआ दिखाई देता हैं। दरसल धड़ लम्बे होने के कारण ऐसा प्रतीत होता हैं। जब बच्चे के लिए पर्याप्त से ज्यादा जगह होती हैं तो ऐसी स्थिति में पेट कम निकलता हैं।
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प्रेगनेंसी में केसर कब खाना चाहिए
प्रेगनेंसी में अक्सर महिलाओं को केसर खाने की सलाह दी जाती हैं। दरसल केसर के सेवन से बच्चे का रंग साफ़ होता हैं। इसके अलावे केसर में कई औषधीय गुण होते हैं जो की महिला के लिए भी फायदेमंद हैं। इसके सेवन से स्ट्रेस कम होता हैं। पोटैशियम और क्रोसेटिन के मौजूदगी के चलते भी इसे खाने की सलाह दी जाती हैं। दरसल प्रेगनेंसी में ब्लड प्रेशर की समस्या आम बात हैं ऐसे में इसके सेवन से ब्लडप्रेशर की समस्या से राहत मिलती हैं। इसका सेवन तीसरे या चौथे महीने में करने की सलाह दी जाती हैं। इसके सेवन से डाइजेशन, कमजोरी, कब्ज आदि में बेहद लाभदायक हैं। यह ब्लड फ्लो को सामान्य बनायें रखने में मदद करता हैं।
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प्रेगनेंसी में उल्टी होना जरूरी है क्या
प्रेगनेंसी में उल्टी होना या उल्टी न होना कोई समस्या नहीं हैं। प्रेगनेंसी में उलटी HCG होरमोंस के कारण होती हैं। उल्टी होना प्रेगनेंसी के मुख्य लक्षणों में से एक हैं। दरसल एग फर्टिलाइजेशन के बाद गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता हैं। इस दौरान HCG होरमोंस ब्लड में मिलने लगता हैं। इस वजह से उल्टी होती हैं। उलटी की समस्या प्रेगनेंसी की शुरुवात से लेकर 3 महीने तक रह सकती हैं। कुछ मामलों में बच्चे की डिलीवरी अर्थात नौ महीने तक भी उल्टी की समस्या देखने को मिलती हैं। ऐसे में महिला को जब उल्टी नहीं होती हैं तो महिला अक्सर यह सवाल करती हैं की प्रेगनेंसी में उल्टी होना जरूरी है क्या ?
दोस्तों आपको बता दे की प्रेगनेंसी में सभी को उल्टी हो यह जरुरी नहीं हैं। उल्टी का होना या न होना यह आपके शरीर में बन रहे होरमोंस पर डिपेंड करता हैं। इसमें चिंतित होने जैसा कुछ नहीं हैं। उचित जानकारी के लिए आप किसी डॉक्टर से भी सलाह ले सकती हैं।
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प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए जिससे बच्चा गोरा हो
प्रेगनेंसी में बच्चे के गोरा होने के लिए खट्टे फल, नारियल पानी, केसर, अंगूर, पलक आदि का सेवन करना चाहिए। फोलिक एसिड, अल्फा हाइड्रॉक्सी एसिड, विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ बच्चे की रंगत सुधारने में मदद करते हैं।
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निष्कर्ष
प्रेगनेंसी में पेट में धक् धक् होना – 2 महीने की प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना क्या हैं इसके बारें में मैंने आपको विस्तार से बताया हैं। हार्मोनल चेंजेज की वजह से प्रेग्नेंट महिला को कई तरह की समस्या होती हैं। प्रेगनेंसी में महिला का मूड और व्यव्हार में परिवर्तन भी बेहद सामान्य हैं। इस स्थिति में महिला के खान पान का खास ख्याल रखना पड़ता हैं।
मुझे उम्मीद हैं की आपको प्रेगनेंसी में पेट में धक् धक् होना – 2 महीने की प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना क्या हैं की जानकारी पछि लगी होगी। ऐसी ही जानकारियों के लिए आप हमारे अन्य पोस्ट को पढ़ सकते हैं।
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