सच्चे रिश्ते की पहचान करने आसान तरीका जाने

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सच्चे रिश्ते की पहचान करने आसान तरीका जाने – कुछ रिश्ते खून के होते हैं तो कुछ रिश्ते दिलों से जुड़े होते हैं। आज के समय में अधिकत्तर लोग स्वार्थ के कारण एक दुसरे से जुड़े होते हैं। आज की सच्चाई यह हैं की आपका पड़ोसी भी आपके बढ़ते सामाजिक मान-सम्मान और आर्थिक उन्नति से जलने लगता हैं। चाहे रिश्ता कोई भी हो उसमें ईमानदारी, कठिन परिस्थितियों में हर संभव सहायता की भावना, प्रेम और विश्वास का होना बेहद जरुरी हैं। जो रिश्ते स्वार्थ की नींव पर बनी होती हैं वे जल्दी ही टूटकर बिखर जाते हैं। आपसे काम लेने के बाद सामने वाला आपसे दूर होने की कोशिश करने लगता हैं। जब रिश्ते सच्चे होते हैं तब वह व्यक्ति आपकी मदद करने के लिए सबसे आगे खड़ा रहता हैं। आइए विस्तार से जानते हैं की सच्चे रिश्ते की पहचान कैसे की जाती हैं।

सच्चे रिश्ते की पहचान करने आसान तरीका जाने
सच्चे रिश्ते की पहचान करने आसान तरीका जाने

दोस्तों, सच्चे रिश्ते में घृणा, द्वेष, इर्ष्या, जलन, धोखा, शक जैसे शब्दों का कोई स्थान नहीं होता हैं। सच्चे रिश्ते की पहचान आपके कठिन समय में होती हैं। जब आपको अपने रिश्तेदारों, दोस्त या हमसफ़र की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती हैं। कठिन समय में जो व्यक्ति आपके लिए बिना किसी लालच और स्वार्थ के सहायता के लिए सबसे आगे आता हैं वास्तव में इसे ही सच्चा और अच्छा रिश्ता कहते हैं। सच्चे रिश्ते में किसी भी प्रकार का स्वार्थ निहित नहीं होता हैं। आज के समय में प्यार भी लोग टाइम-पास और स्वार्थ के लिए करते हैं। नीचे सच्चे रिश्ते की पहचान विस्तार से बतायी गयी हैं।

सच्चे रिश्ते की पहचान करने के ५ तरीके

सच्चे रिश्ते की पहचान करने के ५ तरीके
सच्चे रिश्ते की पहचान करने के ५ तरीके

दोस्तों, सच्चे रिश्ते लाभ-हानि के विषय से दूर रहते हैं। जब रिश्ते में अहंकार, शंका और स्वार्थ होता हैं तो रिश्तों में दूरियां बढ़ने लगती हैं। पति-पत्नी में तलाक, गर्लफ्रेंड -बॉयफ्रेंड में ब्रेकअप, पड़ोसियों से मनमुटाव जैसी स्थितियां पैदा होने लगती हैं। प्रत्येक रिश्ते की बुनियाद प्रेम, विश्वास और समर्पण की भावना हैं। अहंकार और स्वार्थ रिश्तों के खराब होने की प्रमुख वजहें हैं। कहते हैं न रिश्ता चाहे कोई भी हो मन से होना चाहिए मतलब से नहीं तो आइए जानते हैं की सच्चे रिश्ते की पहचान क्या हैं।

1. मुसीबत में हमेशा साथ देते हैं

मुसीबत में साथ देना सच्चे रिश्ते की सबसे बड़ी पहचान हैं। चाहे समस्या कितनी भी बड़ी हो, अगर कोई व्यक्ति आपके साथ खड़ा हैं तो समझ लीजिये की आपका संबंध उस व्यक्ति के साथ प्रेम, विश्वास और समर्पण का हैं। माता-पिता कितना भी अपने बच्चों पर क्रोधित हो जाएं लेकिन मुसीबत के समय हमेशा अपने सन्तान साथ खड़े रहते हैं। इसी तरह अगर किसी व्यक्ति से आपका मन-मुटाव भी हैं और वह मुसीबत में आपका साथ देता हैं तो इसे ही सच्चा रिश्ता कहते हैं।

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2. अलगाव की स्थिति नहीं आती हैं

जब आप किसी के साथ रिश्ते में होते हैं तो लड़ाई झगड़े का होना भी आम बात हैं। हर व्यक्ति की सोच अलग-अलग हो सकती हैं। किसी बात को लेकर बहस होना या छोटे-मोटे लड़ाई झगड़े का होना बेहद नार्मल हैं। परन्तु इसके बावजूद वह व्यक्ति आपके साथ चिपका रहता हैं या मनाने की कोशिश करता रहता हैं तो यह सच्चे रिश्ते की पहचान हैं। अर्थात जो व्यक्ति कमियों के बावजूद आपसे किसी भी सुरत में अलग होने को तैयार नहीं हैं वह आपके लिए परफेक्ट हैं।

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3. अटूट विश्वास का होना

सच्चे रिश्ते की पहचान विश्वास की बुनियाद पर खड़ी होती हैं। जब आप किसी से सच्चा प्रेम करते हैं तो शक का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। एक दुसरे पर अटूट विश्वास का होना ही सच्चे रिश्ते की पहचान हैं। किसी गैर या बाहरी व्यक्ति द्वारा आपके जीवन में दखल देने से सच्चे रिश्ते में दरार आना संभव नहीं हैं। जो लोग सच्चे रिश्ते में होते हैं वे कभी भी एक दुसरे से कुछ नहीं छुपाते हैं। परिवार की समस्याएं हो या बाहरी कोई भी समस्या एक साथ मिलकर उसका सलूशन निकालने का प्रयत्न करते हैं।

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4. सच्चे रिश्ते में कोई शर्त नहीं होती हैं

जो रिश्ते सच्चे होते हैं उसमें न किसी तरह का प्रेशर होता हैं और न कोई शर्त। जैसे अगर कोई कहता हैं की मेरे साथ रहना हैं तो तुम्हे भी मेरे जैसा बनना होगा और मेरी हर बात माननी होगी। ऐसे रिश्ते को सच्चा रिश्ता नहीं कहा जा सकता हैं। सच्चे रिश्ते का मतलब हैं की आप जिस रूप में उसी रूप में स्वीकार करना। हर व्यक्ति के विचार अलग-अलग हो सकते हैं। एक दुसरे की सोच न मिलने के बावजूद जब आप एक दुसरे को सुनते हैं और बेकार के वाद विवाद से दूर रहने की कोशिश करते हैं तो यह भी सच्चे रिश्ते की पहचान हैं।

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5. सच्चे रिश्ते की पहचान हैं खुलकर बातें करना

जो लोग सच्चे रिश्ते में होते हैं वे खुलकर एक दुसरे से बातें करते हैं। बिना किसी झिझक और दुविधा के किसी भी विषय पर चर्चा करते हैं। खुद से जुडी समस्याएं हो या घर परिवार से जुडी हर चीजों एक दुसरे से शेयर करते हैं। अटूट विश्वास उन्हें इस डर से दूर रखता हैं की इन चीजों को शेयर करने का परिणाम क्या हो सकता हैं। गहरे से गहरे राज भी बताने से एक पल को भी नहीं हिचकते हैं।

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निष्कर्षसच्चे रिश्ते की पहचान

इस पोस्ट में मैंने आपको बताया हैं की सच्चे रिश्ते की पहचान करने आसान तरीका क्या हैं। सच्चे रिश्ते में लड़ाई झगड़े और मनमुटाव जैसी स्थितियां तो आ सकती हैं लेकिन मुश्किल परिस्थितियों में सदैव एक दुसरे के साथ ही खड़े रहते हैं। सच्चा रिश्ता फेविक्विक की तरह मजबूत होता हैं। ऐसे रिश्ते में रंग-रूप, गरीब-आमिर, पसंद-नापसंद का कोई महत्त्व नहीं होता हैं। हर परिस्थिति में मजबूती के साथ आपके बचाव के लिए खड़े रहना एक अच्छे और सच्चे रिश्ते की ही पहचान हैं। विचारों के मेल न खाने के बावजूद भी आपसे बहस या लड़ाई न करना भी एक अच्छे रिश्ते के संकेत हैं।

मुझे आशा हैं की आपको आज की यह पोस्ट बेहद पसंद आयी होगी। इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया पर शेयर करें।

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